भारत में एक तरफ तो भुखमरी और बेरोजगारी का रोना रोया जाता है, वही दूसरी और देव-दीवाली जैसे त्योहारों के चलते 51 लीटर दूध और 500 किलो फूल से माता गंगा का अभिषेक किया गया | मैं धर्म के खिलाफ नहीं हूँ बल्कि इस बात के खिलाफ हूँ कि जहाँ भारत देश में इतने परेशानियाँ दिखाई जाती हैं, वहाँ पर त्योहारों के नाम पर क्यों चीज़ों का नुक्सान किया जाता है |
दिवाली का त्यौहार ही देख लीजिये, दिवाली रौशनी का त्यौहार है, पर लोग इसको पटाखे , शोर का त्यौहार बनाकर मानते हैं | इससे कितना नुक्सान होता है, क्या कोई इस बात को समझता है | अब ये देव-दिवाली मनाई 23 नवम्बर को मनाई गई | इस दिवाली में 51 लीटर दूध से गंगा मैया का अभिषेक किया गया | 500 किलों फूलों से सजावट की गई |
मुझे ऐसा लगता है, ये ग़लत है | क्योकि इतना दूध अभिषेक के नाम पर गंगा में बहा दिया गया और इतने फूलों से सजावट अगले दिन उन फूलों का क्या किया फेंक दिया | धर्म के नाम पर चीज़ों की बर्बादी ग़लत बात है | कोई भगवान ऐसे अभिषेक से खुश नहीं हो सकता जहाँ चीज़ों की बर्बादी हो | जहाँ भूखे को खाने को न मिले और इस तरह दूध पानी में बहाया जाएं | मैं इन सब के खिलाफ हूँ |
मुझे साफ़ साफ़ शब्दों में लगता है, कि 51 लीटर दूध और 500 किलो फूल से गंगा का अभिषेक करना ग़लत है | त्यौहार मनाओ , अपने धर्म निभाओ परन्तु जरूरतमंद लोगों के बारें में एक बार सोचो | गंगा मैया भी शायद इस अभिषेक से खुश न हो जहाँ जरूरतमंद इंसान की भूख को इस तरह पानी में बहाया जाता हो |