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आज इंसान ने भले ही अत्याधुनिक ऑटोमैटिक हथियार बना लिये हैं, लेकिन पुराने हथियारों के आगे दुश्मन पानी मांगता था। ऐसे बहुत से हथियार आज लुप्त हो चुके हैं जिनका कभी बोलबाला था। इसलिये निश्चित तौर पर यह, कि कोई एक ऐसा हथियार जो इतिहास में फिर दोहराया नहीं गया, कहना मुश्किल है।
फिर भी इतना तो कहा ही जा सकता है कि ऐसे तमाम हथियार हैं, जो कभी रणभूमि में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे आज चलन से पूरी तरह बाहर हो चुके हैं। उनमें किसी-किसी का आज सिर्फ़ व्यक्तिगत उपयोग ही बचा है, सामरिक नज़रिये से वे हथियार अब पूरी तरह 'आउटडेटेड' हो चुके हैं।
ज़ाहिर है, हथियारों का विकास मानव-सभ्यता के समानांतर ही होता रहा। कभी पौराणिक मान्यतानुसार आध्यात्मिक हथियार भी हुआ करते थे, जैसे ब्रह्मास्त्र या दिव्यास्त्र। फिर धनुष-बाण और भाले व तलवारों का युग आया। इस सहस्राब्दि में मानव-जाति तरह-तरह के घातक विस्फोटकों की खोज भी करती गई।
इसी क्रम में हम परमाणु बम और हाइड्रोजन बम और न जाने क्या-क्या बनाते चले गये। जिनका उपयोग करके मानव पूरी पृथ्वी से जीवन को नष्ट कर सकता है। यानी यह सवाल, कि इतिहास में किस हथियार का प्रयोग दुबारा नहीं हुआ, भले मुश्किल हो, पर हमने आज ऐसे हथियार निर्मित कर लिये हैं कि जिनका एक बार का प्रयोग ही सारी मानव-सभ्यता को नष्ट करने के लिये पर्याप्त होगी। फिर इतिहास में उस हथियार को दोहराये जाने का कोई प्रश्न ही न होगा।
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बहुत से ऐसे हथियार है जो अब दुनिया में दोहराए नहीं जा सकते हैं। जैसे धनुष बाण, तलवारों का युद्ध हुआ था अब इनको दोबारा दोहराया नहीं जा सकता है। पहले देखा जाता था कि मानव परमाणु बम हाइड्रोजन बम ना जाने क्या-क्या बनाते थे। अब इनका उपयोग कहीं पर भी नहीं होता है और यह पूरी तरह से लुप्त भी हो चुके हैं । पहले देखा जाता था कि युद्ध के समय अक्सर तोप बंब तलवार हथियारों का प्रयोग होता था। अब तो सेनाओं के युद्ध के लिए बंदूक, पिस्टल को दिया जाता है । और जो पुराने हथियार थे अब उनको कभी भी नहीं दोहराया जाएगा.।
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