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जी नहीं इससे बीजेपी कार्यकर्ता पे इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
अपने प्रधानमंत्री पर मेरा यह शत प्रतिशत विश्वास सदा से रहा और अब अडिग रहेगा। बस इतना समझ लीजिए कि रविशंकर और जावड़ेकर सरीखों के अंतिम क्षणों में इस्तीफे यह बता रहे हैं कि अपने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री को अंतिम क्षणों तक कितने भीषण दबाव के विरुद्ध जूझना पड़ा है। लेकिन वो झुके नहीं, डिगे नहीं। मेरा विश्वास और मजबूत हुआ।?
सत्य तो ये है कि अत्यन्त जटिल समीकरणों वाली बहुत उलझी हुई पहेली का नाम राजनीति है। शुद्धतावादी सिद्धांतों के चलते 1996 तक भाजपा एक दायरे में सिमटी रही थी। अटल जी ने इस कड़वी सच्चाई को समझा था, और 1998 में पहली बार उन सिद्धांतों को शिथिल किया था। अटल जी की उस पहल को नरेन्द्र मोदी ने बहुत बारीकी से समझा और स्वीकारा। परिणामस्वरूप पिछले 7 वर्षों से केन्द्र व अधिकांश राज्यों में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है।
महत्वपूर्ण यह होता है कि सरकार का मुखिया शुद्धतावादी सिद्धांतों का अनुयायी हो। बाकी सब लोग स्वतः सही हो जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 7 वर्षों से यह कर के दिखा रहे हैं।
संक्षेप में बस इतना समझ लीजिए कि 135 करोड़ की आबादी की सरकार भगवान शंकर की बारात सरीखी ही होती है।? भूत - प्रेत - पिशाच सब उसमें बाराती होते हैं। लेकिन #भोलेनाथ उन सब पर पूरा नियंत्रण रखते हैं।??
जय श्री राम??
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