phd student Allahabad university | पोस्ट किया |
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दिल्ली के बारे मे बहुत से बुरी चीज़े देखने को मिलती है। दिल्ली मे कोरोना महामारी के चलते वहां पर गर्मी टाइम ऑक्सीजन लेवल की इतनी कमी हो गई थी कि वहां पर ऑक्सीजन सिलेंडर कम पड़ रहे थे। तथा वहां का हाल बहुत बुरा है क्योंकि मरीजों को हॉस्पिटल मे एडमिट करने के लिए जगह भी कम पड़ रही थी।
दिल्ली के लोगो अंदर एक सबसे बुरी आदत देखने को मिली है। क्योंकि वहां जैसे कोरोना खत्म हो गया हो क्योंकि वहां के लोग सड़को पर बिना मास्क लगये हुए पैदल चल रहे है, उनको जरा सा भी इस बात का अंदाजा नहीं है कि अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है कोरोना के बनाये गये नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए नियमों पालन करे।
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दिल्ली के सबसे बड़े तथ्य यह है क़ी इसे प्रदूषण दिल्ली की हवा में प्रदूषण बढ़ने के लिए दिवाली के पटाखों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और वही दूसरे वर्ग में इसके लिए उन सभी कारकों को सामने रख रहा है जो दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है और करो ना महामारी के चलते इन्हें ऑक्सीजन की भी कमी काफी कुछ ज्यादा सहन करनी पड़ गई थी और आज भी देखो तो यह कोरोनावायरस के चलते हुए भी रास्तों पर सड़कों पर बिना मार्क्स लगाए हुए पैदल चलते नजर आ रहे हैं.।
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