अक्सर लोगों के द्वारा रामराज्य की बात कही जाती है। परंतु यह सोचनीय है कि केवल राम राज्य के बारे में ही बात क्यों कही जाती है? अगर प्रभु श्री राम के बारे में बात करें तो वह एक कुशल साहसी निडर ज्ञानी मर्यादापुरुषोत्तम साथ ही अपनी प्रजा से प्रेम करने वाले एक राजा थे। उनके शासनकाल में वहां की जनता काफी खुश रहा करती थे। उनके शासनकाल में हर किसी को एक समान न्याय मिलता और सभी के घर में सुख- समृद्धि होती। उनके बाद कोई ऐसा राजा आज तक नहीं आया जिसके शासनकाल में जनता बहुत सुखी रही हो। इसलिए रामराज्य की बात कही जाती है।
राम राज्य ’शब्द हम सब ने बहुत बार सुना है। हमने यह कभी जानने की कोशिश नहीं कि की रामराज्य का अर्थ क्या है।
महाकाव्य रामायण के अनुसार जब श्री राम लंका में रावण का वध कर अयोध्या लौटे तब वे राम राज्य की स्थापना हुईं, अयोध्या के राजा श्री राम ऐसे राज्य की रचना करते हैं जहां संपूर्ण प्रजा आनंदित एवं सुखी रहती है आज के समय में हमें रामराज्य की व्याख्या अत्यंत काल्पनिक प्रतीत होती है। यह कल्पना वर्षों पश्चात भी जीवित है। इसका यह अर्थ हो सकता है कि किसी समय ऐसा रामराज्य अस्तित्व में था भले ही वह उस समय तक नहीं रहा।
रामराज की व्याख्या रामचरितमानस के उत्तरकांड अथवा 7वें कांड में की गई है, श्री राम ने रावण का वध एवं लंका विजय के पश्चात अपने साथ आए लंका किष्किंधा एवं प्रयाग के मित्रों को उनसे संबंधित स्थलो मैं वापस भेज दिया था।
जब प्रत्येक व्यक्ति अपने वर्ण एवं आश्रम के धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करता है अथवा जब वे प्रत्येक व्यक्ति जीवन के विभिन्न चरणों के अनुसार अपने निहित कार्य उसी प्रकार करता है जैसा कि वेदों में परिभाषित है जब कहीं भी किसी भी प्रकार का भयानक दुख ना हो तथा रोग न हो वही राम–राज्य है, राम राज्य में दंड केवल योगियों के हाथों मैं विराजमान रहता है।
रामराज्य एक ऐसे क्षेत्र की संपूर्ण परिभाषा है जहां सर्व क्रियाकलाप एक दूसरे के सामंजस्य से परिपूर्ण होते हैं जिस प्रकार राम राज्य को परिभाषित किया गया है उसका अनुभव हमें रोमांचित कर देता है। सर्वप्रथम मानवीय आचरण सर्वोत्तम होना चाहिए, पश्चात पर्यावरण तथा नगर का वैभव है।