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समाज में मान्यता हैं। की जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होने वाले सुख-दुख दृद़ रीति रिवाज की प्रथा कहलाती है । प्रथा वास्तव में सामाजिक क्रिया करने की स्थापित वह सर्वमान्य विधि है।लोग इसे इसलिए मानते हैं कि समाज के अधिकतर लोग उसी विधि के अनुसार कार्य या व्यवहार करते आए हैं। इस प्रकार प्रथा एक रीति रिवाज का ही एक पूर्ण रूप है। जिसके साथ सामाजिक स्वीकृति जुड़ी हुई होती है। प्रथा का संबंध एक लंबे समय से प्रयोग में लाए जाने वाली रीति-रिवाजों से होता है। समाज से मान्यता प्राप्त कार्य करने की विधियां ही समाज की प्रथाएं हैं। जिन्हें प्रथा कहते हैं।
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