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| Updated on July 21, 2021 | others

ईद अधा मुबारक क्या है? इसके पीछे का क्या है इतिहास?

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@satindrachauhan6717 | Posted on July 21, 2021

ईद और रमज़ान शुद्धता और त्याग का प्रतीक है

प्रत्येक देश में सामाजिक और धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं। त्यौहार आनंद प्रदान करते हैं। ऐसे अवसरों पर परस्पर मिलन सहयोग प्रेम आदि से सभी का मन प्रसन्न हो जाता है। त्यौहार रोज के कार्यों की ओर से मनुष्य को आनंद प्रदान करते हैं। त्यौहार मना कर व्यक्तियों का मनोरंजन भी होता है। समय-समय पर परस्पर मिलन सहयोग प्रेम आदि से सभी का मन प्रसन्न होता है।

ईद सभी देश, जातियां और संप्रदाय अपने-अपने त्योहारों को मनाते हैं। ईद मुसलमानों का त्योहार है। यह दुनिया के प्रत्येक भाग में मनाई जाती है। इस दिन मुसलमान लोग खूब खुशियां मनाते हैं।

रमजान का महीना:

मुसलमानों में एक रमजान का महीना होता है। रमजान के पूरे महीने में सब मुसलमान व उनके बच्चे व्रत रखते हैं। इस व्रत को रोज़ा कहा जाता है। इन दिनों मुसलमान लोग दिन में भोजन नहीं करते हैं। सूर्य निकलने से पहले तथा सूर्य डूबने के बाद वे लोग भोजन करते हैं। दिन में वे लोग पानी भी नहीं पीते है।

रमजान के महीने के आखिरी दिन मुसलमान चांद के दर्शन का इंतजार करते हैं। चांद दिखाई देने के दूसरे दिन ईद का त्यौहार मनाया जाता है। ईद का त्यौहार चांद दिखाई देने के ऊपर निर्भर करता है। चंद्रमा और सूर्य की तिथियों की गणना के अनुसार हर वर्ष ईद के त्यौहार की तिथि भी आगे पीछे हो जाती है।

रोजा रखने की परंपराः

कहा जाता है कि इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब को 1 महीने रमजान के महीने तक मक्का में एक गुफा में भूखे प्यासे रहना पड़ा था। उसी याद में प्रतिवर्ष इस महीने में रोजा रखा जाता है।

रमजान का महत्व:

मुसलमानों के लिए रमजान का बहुत अधिक महत्व है। इस महीने को वे आत्म - शुद्धि का समय मानते हैं। इस महीने में वे अपने आप को पवित्र जीवन जीने के लिए तैयार करते हैं। इस महीने में वे अधिक से अधिक अपने आप को पवित्र बनाए रखने की कोशिश करते हैं। इन दिनों वे दिन में 5 बार नमाज पढ़कर अल्लाह को याद करते हैं। वे भिखारियों और फकीरों को सामर्थ्य अनुसार दान देते हैं। इस महीने में परोपकार करना, झूठ ना बोलना, चोरी ना करना, सच बोलना, किसी को कष्ट ना पहुंचाना, अपना धर्म समझते हैं।

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ईद का त्यौहार कैसे मनाया जाता है :

निश्चित समय पर मुसलमान लोग समूहों में इकट्ठे होकर मस्जिदों और ईदगाहों में जाते हैं। वहां वे पंक्ति में बैठकर नमाज पढ़ते हैं और वे अल्लाह से दुआ करते हैं कि यदि उनके उपवास में कोई गलती हो गई हो तो वह उनको बख्श दे। नमाज के बाद सभी लोग एक दूसरे से के गले मिलते हैं और ईद - मुबारक कह कर एक - दूसरे को बधाइयां देते हैं।

इस समय गरीबी - अमीरी का भेद मिटाकर सबके साथ समान रूप से व्यवहार किया जाता है। वह एक दूसरे को भाई मानते हैं। वे सब लोग वापस अपने - अपने घर जाते हैं कुछ लोग कब्रिस्तान जाकर अपने प्रिय जनों की कब्रों पर फूल चढ़ाते हैं। दूसरे धर्म के लोग भी मुसलमानों को ईद की बधाइयां देते हैं। शाम के समय लोग अपने घरों पर दीपकों व बिजली के बल्बों से रोशनी करते हैं। आतिशबाजी की जाती है। आज के दिन मस्जिदों की शोभा देखने योग्य होती है। आज ये लोग बहुत प्रसन्न दिखाई देते हैं विशेष तौर पर मुसलमानों के बच्चे तो बहुत अधिक खुश होते हैं।

ईद का संदेश हैः

ईद का त्यौहार हमें संदेश देता है कि

हमें सब से प्रेम से मिलजुल कर रहना चाहिए

हमें सबको ईश्वर की संतान समझना चाहिए

हमें किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए

हमें किसी से घृणा नहीं करनी चाहिए

हमें अल्लाह की आज्ञा का पालन करना चाहिए

ईद और रमजान मुसलमानों का शुद्धता और त्याग का जीवन जीने का संदेश देते हैं।

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