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जिस प्रकार एक राजा के लिए उसकी प्रजा ही उसका सौंदर्य उसका आभूषण होती है। उसी प्रकार अलंकार कविता के लिए सौंदर्य वर्धक का कार्य करते हैं। अलंकारों का भारतीय साहित्य को सुंदर, सुस्पष्ट व अर्थपूर्ण बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। हिंदी साहित्य के अनुसार शब्द का अर्थ कि जिस विशेषता के कारण काव्य खंड के सौंदर्य में वृद्धि होती है। उसे ही अलंकार कहा जाता है। यदि भारतीय साहित्य की ओर देखे तो भारतीय साहित्य में सहज़ ही अलंकार देखने को मिल जाते है।
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दोस्तों इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि अलंकार क्या होता है दो शब्दों के मेल को अलंकार कहते हैं अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है अलम+कार। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सजावट, श्रंगार या गहना, आभूषण आदि।जिस प्रकार श्रृंगार के लिए आभूषणों का प्रयोग होता है उसी प्रकार शब्द को सुंदर बनाने के लिए अलंकार का उपयोग किया जाता है अलंकार काव्य रचना की शोभा बढ़ाता है अलंकार तीन प्रकार के होते हैं
• शब्दालंकार।
• अर्थालंकार।
• उभया अलंकार।
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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | पोस्ट किया
हिंदी साहित्य में काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते हैं। जिस प्रकार किसी स्त्री के आभूषण के द्वारा उसकी शोभा बढ़ाई जाती है। ठीक उसी प्रकार ही काव्य की शोभा शब्दों द्वारा बढ़ाई जाती है। काव्य के दो भेद होते हैं :- (शब्दालंकार) - अनुप्रास अलंकार, यमक अलंकार, श्रेष अलंकार।
( अर्थालंकार )- अर्थालंकार में अलंकार होता है जिसके द्वारा किसी अर्थ का पता चलता है इसके भी चार प्रकार होते हैं। उपमा अलंकार,रूपक अलंकार, उत्प्रेक्षा अलंकार,अतिशयोक्ति अलंकार।
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अलंकार शब्द दो शब्दों के मेल से बना बना है आलम + कार इसका शाब्दिक अर्थ होता है - सजावट, आभूषण, श्रृंगार या गहना जिस प्रकार श्रंगार हेतु आभूषणों का प्रकार होता है उसी प्रकार शब्दों और भावों को सुंदर बनाने के लिए अलंकार का प्रयोग किया जाता है। यह भाषा और भावों के श्रंगार हैं जिससे वो और भी आकर्षक हो जाते हैं। अलंकार रचना की शोभा बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। और इसके साधन भी कहे जा सकते हैं अलंकार काव्य रचनाओं के सौंदर्य के लिए होता है।
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अलंकार क्या होता है किसकी परिभाषा क्या होती है आज हम आपको इसकी पूरी जानकारी देंगे अलंकार को अंग्रेजी में Figure of speech कहते हैं अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है अलम +कार। काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते हैं। जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषण पहनने से होती है उसी प्रकार काव्य की शोभा शब्दों के द्वारा बढ़ जाती है उसी को हम अलंकार कहते हैं।
अलंकार के भेद
अलंकार के तीन भेद होते हैं
पहला भेद है शब्दालंकार
दूसरा भेद है अर्थालंकार
तीसरा भेद है उभया अलंकार।
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