Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | पोस्ट किया
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गजल = गजल एक ही बहर और वजन के साथ लिखे गए शेरों का समूह है हर ग़ज़ल को बगैर गीत गाया जा सकता है गजल में मिश्र, शेर, मुक्ता, मतला और बहर आदि का प्रयोग किया जाता है गजल कवियों को संगीत के बारे में अधिक जानने की जरूरत नहीं होती हैं
गीत = स्वर और ताल से युक्त जो गाना होता है उसे गीत कहते हैं साहित्य की एक लोकप्रिय वीधी हैं इसमें एक मुख्य अंतर होता है गीत को सिर्फ गाया जाता है सुनाया नहीं जाता क्योंकि यह गाने के रूप में लिखा जाता है
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हम आपको गजल और गीत में फर्क बताते हैं हम ग़ज़ल को गीत के बिना गा सकते हैं लेकिन गीत का ग़ज़ल बनाकर नहीं गा सकते। हर गजल को बतौर गीत लगाया जा सकता है पर हर भी तो ग़ज़ल नहीं बनाया जा सकता है।
गीत : छंद युक्त या छंद मुक्त कुछ भी हो सकता है। पर लय होना जरूरी है। गीत में राग होना भी वंछित है।
पर गजल हजारों छंदों में से कुछ खास किस्म के छंद को ही कहा जाता है गजल के छंद को बहर कहते हैं जिसमे मतला, रदीफ , क़फिया और एक खास लघु गुरु क्रम होता है।
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हम हर गजल को बातोर और गीत गाया जा सकता है पर मगर हर गीत को गजल बना कर नहीं लाया जा सकता है। और गीत में छंद युक्त छंद मुक्त कुछ भी हो सकता है पर मगर लाय होना जरूरी होता है। और गजल कड़ाई से शुरू से अंत तक एक परिभाषित काव्य मीटर पर आधारित है। वहीं दूसरी तरफ गीत एक राग पर आधारित है जो गजल में व्यक्ति अपने सभी दोहे में अलग-अलग विचार ला सकता है लेकिन गीत में मोगुस जीत नहीं है.।
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आप सभी ने गजल और गीत का नाम तो सुना ही होगा और बहुत से लोग यह समझते हैं कि गजल और गीत एक होता है तो मैं उनके जानकारी के लिए बता दूं कि गजल और बीच में फर्क होता है।
दोस्तों हम ग़ज़ल को गीत के बिना गा सकते हैं लेकिन गीत को गजल बना कर नहीं गा सकते हैं।
गीत में सुर का होना वांछित है लेकिन गजल हजारों छंदों में से कुछ मुख्य छंदों को भी कहा जा सकता है। इस प्रकार ग़ज़ल और गीत में काफी अंतर पाया जाता है।
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