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वैदिक काल में राजतंत्रात्मक प्रणाली प्रचलित थी ग्राम के मुखिया ग्रामीणी और विश का प्रधान विशपति कहलाता था और जन के शासन को राजन कहा जाता था। जो ग्राम के प्रमुख थे वे विशपति थे। और ऋग्वेद में पुरोहित सेनानी तथा ग्रामीण इन तीन अधिकारियों का उल्लेख मिलता है और ये राजा के साथ युद्ध भूमि मे जाता था और विजय प्राप्ति के लिए प्रार्थना भी किया करते थे। और वे राजा का शिक्षक पथ -प्रदर्शक मित्र थे। वे ग्रामीण जनता के हितों का प्रतिनिधित्व करता था.।
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