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यह संसार एक मोह माया है उस ईश्वर द्वारा बनाया गया एक जाल है हम बस इसी साल के अंदर अभी तक घूम रहे हैं. हमारा मन इस दुनिया में सबसे तेज गति रखने वाला अदृश्य वाहन है पर क्या आपको पता है कि नमन हमारा इतना चंचल क्यों होता है इसका एक कारण सांसारिक मोह माया की ओर अग्रसर होना है, मन की चंचलता को दूर करने के लिए अक्सर लोग मेडिटेशन का सहारा लेते हैं जिससे वह मन की चंचलता को दूर करके अपने अंतर्मन की बात को सुन सके अंतरमन का अर्थ अवचेतन मन यानी की दिल से है और मन का संबंध दिमाग से है इसीलिए अपने मन पर नियंत्रण रखें ताकि अपने अवचेतन मन पर.
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मनुष्य के मन में अनेक प्रकार की भावनाएं होती हैं और इस दुनिया में मन की गति से ज्यादा तीव्र गति किसी चीज की भी नहीं है। हम कुछ ही क्षण में पृथ्वी में रहकर ही अंतरिक्ष तक का सोच सकते हैं।
परंतु मन की गति को काबू करके इसका सही जगह प्रयोग करना अति आवश्यक है। यदि मानव के मन की बात करें तो मानव के मन में अनेकों भावनाएं जैसे क्रोध, अहंकार ,लालच ,घमंड आदि होती हैं। और मेरे अनुसार इन सभी भावनाओं के कारण ही मानव का मन चंचल रहता है।
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मन का काम है विषय वस्तु से विश्व की दृष्टि त्रुटि कराने स्वाद इस पर से प्राप्त करना। मानसिक विकास एवं ज्ञानेंद्रियों की संवेदना को व्यक्ति रितिक से ग्रहण करने में मन की ही चंचलता सबसे बड़ी बाधा होती है। और मन चंचल है मन वायु से भी तीव्र होता है मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण होता है। और जब मन चंचल होता है जल नीचे की ओर प्रवाहित होता और जल को स्थित करना तो आपको उसे सीमा बंधन करना पड़ेगा और जब हमारा मन निश्चल होता है किसी दायरे पर नहीं होता है और मन हमारे स्थिर रहता है तब हमारा मन चंचल की ओर आगे बढ़ता है.।
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