मंदिरों में केवल नारियल और केला ही क्यों चढ़ाया जाता है? - letsdiskuss
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ravi singh

teacher | पोस्ट किया |


मंदिरों में केवल नारियल और केला ही क्यों चढ़ाया जाता है?


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शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि मंदिर में भगवान को केवल नारियल और केला ही चढ़ाना चाहिए क्योंकि यह सर्व सुलभ और प्राकृतिक रूप से शुद्ध और स्वच्छ फल होते हैं। जिसे हर व्यक्ति चढ़ा सकते है। वैसे तो भगवान को सभी प्रकार के फल चढ़ाए जा सकते हैं लेकिन केला और नारियल का एक विशेष महत्व प्राप्त है उसका कारण यह है कि इन दोनों फलों के पौधे से फल प्राप्ति के बाद हम उसे एक ही बार यूज कर सकते हैं जैसे कि नारियल का बीज हम एक ही बार यूज कर सकते हैं ठीक उसी प्रकार केला भी एक ऐसा फल है जिसे इंसान छीलकर खा लेता है उसमें बीच की प्राप्त नहीं होती है.। यही कारण है कि यदि हम भगवान को इस तरह के फल अर्पित करेंगे तो यह फल शुद्धफल कहलायेंगे क्योंकि इसका प्रयोग दुबारा नहीं किया जाता है । और हिंदू धर्म में नारियल को चढ़ाया नहीं जाता बल्कि नारियल को तोड़ा जाता है क्योंकि नारियल बली का प्रतीक होता है इसे टूटने के पश्चात नारियल को तोड़कर दो भागों में विभाजित किया जाता है और नारियल से पानी निकल जाता है यह बलि देने की प्रतिमा को दर्शाने के लिए सबसे आदर्श फल है उसी प्रकार किसी इंसान की बलि दी जाती है तो उसका सर धड़ से अलग हो जाता है और रक्त बह जाता है इसलिए नारियल को बलि का प्रतीक माना जाता है। और भगवान को उसे अर्पित किया जाता है.। Letsdiskuss


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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | पोस्ट किया


हमारे हिंदू धर्म में सभी भगवानों को नारियल केला इसीलिए चढ़ाया जाता है ! क्योंकि, ऐसा कहा जाता है कि नारियल और केला एक प्राकृतिक रूप से शुद्ध और स्वच्छ है ! नारियल और केला में बीज नहीं होते हैं इसीलिए इसे सर्वसुलभ माना जाता है और इसे सभी लोग भगवान पर चढ़ाते हैं! नारियल को बलि का प्रतीक माना जाता है इसीलिए नारियल को अर्पित करके तोड़ा जाता है ना कि चढ़ाया जाता है । वैसे तो लोग कई सारे फल और मीठा भी भगवान चढ़ाते हैं ! लेकिन इनमें से सबसे शुद्ध नारियल और केला को ही माना जाता है !Letsdiskuss


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हमारे हिंदू धर्म में यह प्रथा कई वर्षों से चली आ रही है कि भगवान को केवल नारियल और केला ही क्यों चढ़ाया जाता है इसके पीछे का कारण यह है कि नारियल एक ऐसा फल होता है जिसे तोड़ने के बाद उसका बीज दुबारा नहीं उगता है और केला भी एक ऐसा फल है जिसे खाने के बाद उसके छिलके को फेंक देते हैं उसमें दुबारा बीज नहीं बनता है यही कारण है कि यदि हम भगवान को इस तरह के फल अर्पित करेंगे तो यह फल शुद्ध कहलाएगा क्योंकि इसका प्रयोग दुबारा नहीं किया जाता है । और नारियल बलि का प्रतीक होता है क्योंकि जब हम नारियल को तोड़ते हैं तो वे भी बीच से फट जाता है जिस प्रकार किसी इंसान की बलि दी जाती है तो उसका सर धड़ से अलग हो जाता है इसलिए नारियल को बलि का प्रतीक माना जाता है। और भगवान को उसे अर्पित किया जाता है ।Letsdiskuss


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teacher | पोस्ट किया


यदि हम किसी अन्य फल को खाने के बाद बीज को फेंक देते हैं, तो यह फिर से पौधे के रूप में विकसित होगा। लेकिन अगर हम नारियल के खोल को खाने के बाद फेंकते हैं, अगर हम केले को फेंकते हैं या तो बाहरी त्वचा को हटाते हैं या इसके बिना, यह फिर से कभी नहीं बढ़ेगा। यह मुक्ति / मोक्ष राज्य का प्रतिनिधित्व करता है, जो कि सोटेरियोलॉजिकल रिलीज की अंतिम स्थिति है, बार-बार पुनर्जन्म से मुक्ति। इस प्रकार हम इन्हें भगवान को मुक्ति राज्य देने के लिए प्रार्थना करने की पेशकश कर रहे हैं।

यह भी ऊपर वाले से थोड़ा मिलता-जुलता है। चूँकि नारियल और केला हमारे द्वारा खाए गए बीजों से कभी नहीं आ सकते, उन्हें किसी भी तरह से मानव लार के संपर्क के बिना शुद्ध माना जाता है। इसलिए उन्हें सबसे शुद्ध फल के रूप में भगवान को चढ़ाया जाता है।

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