मृत्युभोज क्यों नहीं खाना चाहिए?

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Shayraa .

| Updated on January 6, 2022 | Education

मृत्युभोज क्यों नहीं खाना चाहिए?

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@saurabhkumar9631 | Posted on June 28, 2021

यह बात सच है कि जो इंसान इस दुनिया में पैदा हुआ है उसे जाना ही पड़ेगा यह विधि का विधान है मनुष्य की मृत्यु के बाद तब के लिए कई नियम निर्धारित किए गए हैं जैसे कि अंतिम संस्कार क्रिया श्राद तेरहवीं का भोज आदि शामिल है। लेकिन आज हमें जानना है कि मृत्यु भोज क्यों नहीं खाना चाहिए हमारे हिंदू धर्म में सोलह संस्कार बनाए गए हैं जिसमें पहला संस्कार गर्भाधान एवं अंतिम संस्कार सोलह संस्कार है बात आती है तेरहवीं के संस्कार की जो की बनाया ही नही गया यानी स्त्राव संस्कार 13वीं का भोज केवल वही लोग करते हैं जो अंतिम संस्कार में गए होLoading image...


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Raj Arya

@rajarya4563 | Posted on July 7, 2021

इस संसार का सबसे प्राचीनतम व सबसे महान धर्म हिन्दू, अपनी संस्कृति रीति-रिवाज व संस्कार आदि के लिए संपूर्ण संसार में प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म में पशु- पक्षी पेड़ -पौधे नदी झरने समुंद्र आकाश पानी आदि सभी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। और हिंदू धर्म में इन सभी का सम्मान अनिवार्य है इसके साथ ही हिंदू धर्म में जब कोई बालक जन्म लेता है तो उसके जन्म से ही उसके साथ संस्कार जुड़ जाते हैं और यह संस्कार उसकी मृत्यु तक रहते हैं।


यह सोलह संस्कार होते हैं गर्भाधान पुंसवन सीमंतोन्नायन जातक्रम नामकरण निष्क्रमण अन्नप्राशन चूड़ाकर्म कर्णवेध यज्ञोपवीत वेदारम्भ केशांत समावर्तन विवाह आवसश्याधाम और श्रोताधाम। इन 16 संस्कार का पालन मानव के लिए अनिवार्य माना गया है।जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो हिंदू धर्म मे मृत्यु के 13 दिन बाद मरे हुए व्यक्ति की आत्मा की शांति हेतु ब्रह्मभोज अर्थात मृत्युभोज का आयोजन किया जाता है। हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि किसी मनुष्य की मृत्यु के 13 दिन बाद यदि ब्राह्मण को भोजन कराया जाए तो मरे हुए व्यक्ति की आत्मा को शांति प्रदान होती है। और अधिकांश हिंदुओं के मरने पर ऐसा किया भी जाता है। पर अधिकांश लोग इस बात से अवगत नहीं है कि मृत्युभोज नहीं खाना चाहिए। यदि महाभारत के अनुशासन पर्व के की बात करे तो मृत्युभोज के खाये जाने पर शरीर मे ऊर्जा की हानि होती है।


सके साथ ही ये एक और तथ्य है की भोजन तभी करना चाहिए जब खाने और खिलाने वालों का मन खुश हो। और मृत्युभोज के वक्त खिलाने वाले का मन प्रसन्ना नहीं होता अपितु दुख शोक आदि से भरा होता है और खाने वाले का मन भी प्रसन्न नहीं होता।हिंदू के सोलह संस्कारों में कोई संस्कार मृत्युभोज के लिए नहीं बना है। इसलिए मृत्युभोज नहीं खाना चाहिए। महर्षि दयानंद मृत्युभोज के विरोधी थे।वही यह भी देखा जाता है जब किसी पशु के संग का कोई पशु मरता है तो वह कुछ दिनों के लिए पशु चारा नहीं खाते। और इन्हे देखकर हमें मृत्युभोज ना खाने की सीख लेनी चाहिए।

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@komalsolanki9433 | Posted on July 10, 2021

संसार में जो आया है उसका जाना निश्चित है, इस संसार में हर किसी की अपनी इच्छा होती हैं के वह लम्बे समय तक जीवन जिये और स्वस्थ रहे , परंतु ऐसा हर व्यक्ति के साथ संभव नहीं होता है और उसकी जीवन लीला समाप्त हो जाती है, हर व्यक्ति के जाने से उसके परिवार, सगे संबंधी, मित्र सभी दु खी होते है। गरुड़ पुरांड मे कहा गया है कि ऐसी दुःखत समय मे जो भोजन बनाया जाता है वह भी किसी योगय नही रहता। कहते है जब खाना बनाने वाले और खाना खाने वाले दोनों के हरदय मे दुःख और वेदना हो तो भोजन नही करना चाहिए इसलिए म्रत्यु भोज नही करना चाहिए।
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@krishnapatel8792 | Posted on January 5, 2022

जो भी इस दुनिया में आया है उसे तो 1 दिन इस दुनिया को छोड़ कर जाना पड़ेगा यह तो निश्चित है क्योंकि यह तो विधि का विधान है और इस विधान को कोई भी नहीं बदल सकता है वही जब कोई भी व्यक्ति दुनिया को छोड़ कर चला जाता है तो उसके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जैसे जन्म के समय नियम बनाए जाते हैं। मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार करना श्राद्ध करना तेरहवीं का भोज करना जैसी चीजें शामिल है लेकिन क्या आपको पता है कि हमें तेरहवीं का भोज नहीं करना चाहिए . क्योंकि महाभारत में बताया गया है कि तेरहवीं का भोज करने से ऊर्जा नष्ट हो जाती है लेकिन जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो और खाने वाले का भी मन प्रसन्न हो तभी हम तेरहवीं का भोजन कर सकते हैं Loading image...

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@preetipatel2612 | Posted on January 5, 2022

* हमारे भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं की हमें कभी भी किसी व्यक्ति की मृत्यु में करवाया गया भोजन नहीं करना चाहिए! क्योंकि, इससे व्यक्ति की ऊर्जा का नाश होता है। अत: हमें किसी के भी मृत्युभोजया तेरहवीं पर भोजननहीं करना चाहिए। गीता में भी भगवान कृष्ण ने कहा है की मरे हुए व्यक्ति के शौक पर भोजन नहीं करना चाहिए !क्योंकि, आत्मा अजर, अमर है, आत्मा का कभी नाश नहीं हो सकता, आत्मा तो केवल शरीर का त्याग करती है । Loading image...

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