दिल्ली सरकार द्वारा जारी odd even योजना जिसे पिछले वर्ष दिल्ली में लागू किया गया था, में दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से कुछ बदलाव करने की मांग की है | दिल्ली में odd ओर even तब लागु किया जाता है जब वायु प्रदुषण अत्यधिक बढ़ जाता है | जब 48 घंटो में PM10 500 माइक्रोग्राम 1 क्यूबिक मीटर और pm 2.5 300 माइक्रोग्राम एक क्यूबिक मीटर तक बढ़ जाता है तो odd even को जारी करने के आदेश सरकार द्वारा दिए जाते हैं |
Odd even से अभिप्राय सम और विषम नंबरो से हैं | इस कानून के अंतर्गत विषम संख्या वाली दिनांक पर केवल विषम संख्या वाले वाहन ही सड़को पर चलेंगे और सम संख्या वाली दिनांक पर केवल सम संख्या वाले वाहन ही चलेंगे | इस क़ानून के उलंघन पर व्यक्ति को 2000 तक का जुर्माना भरना पड़ सकता हैं | पिछले वर्ष odd even केवल चार पहियों वाली गाड़ियों पर ही लागु था तथा महिलाये इससे आवांछित थी, उन्हें इस कानून का पालन नहीं करना था |
इस वर्ष दिल्ली सरकार द्वारा odd even के विषय में नए नियमो को इसमें जोड़ने की मांग की गयी है | दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में यह अर्ज़ी दाखिल की है की इस वर्ष दो पहिये वाली गाड़ियों पर भी odd even लागू होना चाहिए | इतना ही नहीं दिल्ली सरकार की यह भी मांग है की महिलाओं की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए उनपर भी odd even लागू हो | इसपर सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि "दिल्ली में 68 लाख से अधिक दो पहिया गाड़िया हैं और यदि उनपर भी यह कानून लागू हुआ तो सार्वजनिक परिवहन के साधन बुरी तरह से भर जायँगे व राज्य में नई समस्याओ की उत्पत्ति होगी, इसलिए यह व्यवहार में लाना अत्यधिक मुश्किल है" |
नवम्बर 2017 में NGT द्वारा कहा गया था की "ऐसा कोई भी कानून लोगो पर, महिलायों पर या दो पहिया वाहनों पर लागू नहीं किया जायगा जिससे उन्हें परेशानी हो, इसलिए उनपर odd even लागू नहीं किया जायगा" |
दिसंबर 2017 में दिल्ली सरकार की odd even के लिए बदलावों की मांग को NGT द्वारा ख़ारिज कर दिया गया था और अब सर्वोच्च न्यायालय ने भी NGT के पक्ष में फैसला सुनाया हैं |