रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णमासी तिथि के दिन मनाया जाता है | इस कारण इसका एक नाम ‘श्रावणी’ भी है। इस बार 22 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाएगा | रक्षा बंधन भाई - बहन के पवित्र स्नेह प्यार का सूचक बड़ा ही पावन त्यौहार है | भारतीय - सभ्यता संस्कृति के बुनियादी स्वरूप, भावनात्मक तत्वों की दृष्टि से भी इस व्यवहार को बढ़ा पवित्र,भावना- प्रधान और हार्दिक आनंद वाला माना जाता है |
प्रचलित कथाः
कहा जाता है कि प्राचीन काल में गुरुकुल में शिक्षा का नया पक्ष इसी दिन से आरंभ हुआ करता था | एक कथा यह भी प्रचलित है कि इंद्र के युद्ध में जाते समय अपने पति की रक्षा के लिए इंद्राणी ने देवताओं को राखी बांधी थी | कहा जाता है कि राजा बलि ने वामन भगवान को राखी बांधी थी |
वास्तव में यह त्यौहार मध्य युग में उस समय प्रचलित हुआ जब विदेशी आक्रमणों के कारण यहां के नारी जाति का भी उनके द्वारा अपमान किया जाने लगा | उसे अपमान से बचाने के लिए जोहर करने पहले नारियां पतियों - भाइयों को एक तरह रक्षा - कवच बांधती जीवित कुंवारी बहनें भाइयों को सूत्र बांध कर अपनी रक्षा की कामना करती। बस, यहीं से धीरे-धीरे भाई-बहन केंद्र में आते गए और यह उन्हीं के पवित्र स्नेह का प्रतीक त्यौहार बन गया । मुगल हुमायूं ने स्वयं संकट में रहते हुए भी चित्तौड़ की रानी कर्मवती की राखी पाकर अपने को धन्य माना। अपनी इस धर्म बहन का खोया राज्य उसके वारिसों को वापिस दिलवा कर ही राखी के चरणों का मोल चुकाया।
रक्षाबंधन वाले दिन बहने तो भाइयों को राखी बांधती ही है ब्राह्मण लोग भी यजमानों की कलाइयों पर मौली सूत्र बांध कर दक्षिणा अर्जित करते हैं।
भाई-बहन के अमर प्रेम का संदेश देने वाला यह त्यौहार हमेशा इसी तरह शान से मनाया जाता रहे।
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