लघु जल विद्युत परियोजना के तहत गिरते हुए जल ही नही वरन बहते हुए जल से भी विद्युत उत्पन्न की जाती है।नदियों के बहते हुए जल से अथवा पहाड़ों से गिरते जल से विद्युत जनित (बनाई) की जाती है इस प्रक्रिया में बांध बनाकर जल के बहाव को बिजली घर में स्थापित बड़े बड़े टर्बाइन से गुजारा जाता है और उससे बिजली बनाई जाती है।यहाँसेगुजरनेकेबादपानीकोफिरसेनदीमेंएकनिश्चितबहावकेसाथछोड़जाताहै।
यह परियोजना पर्यावरण के लिए सुरक्षित है और प्रदूषण रहित है।इसी कारण इसे अधिक से अधिक प्रचलित करने पर सरकार जोर दे रही है।चंडीगढ़ की जल विद्युत परियोजना के सफल होने के बाद इसे और अधिक प्रसारित करने पर जोर दिया जा रहा है।
हालांकि यह प्रक्रिया बहुत ही सुरक्षित और पर्यावरण के हित में है किन्तु फिर भी किसी भी कार्य को पूरी सतर्कता के साथ न किया जाए तो उसके दुष्परिणाम भी आते ही हैं।कई परियोजनाएं इसी लापरवाही के चलते नुकसान की कगार पर पहुंचकर बंद होने की कगार पर आ गई।सभी मानक मापदंडो को ध्यान में रखकर परियोजना को चलाया जाए तो ये बहुत ही सुरक्षित तरीके है परन्तु बिना मापदंडों के चलाने पर जलीय जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है साथ ही पहाडों का कटाव एवम भूमिगत जल की कमी आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।