महात्मा गाँधी का नाम कौन नहीं जानता | महात्मा गाँधी को "फादर ऑफ़ नेशन" अर्थात राष्ट्रीय पिता कहा जाता है | गाँधी जी आज जीवित नहीं परन्तु उनका नाम आज भी लोगों को याद है | उनको आज भी लोग जानते हैं, और उनके जीवित न होने पर भी उनके बिना किसी का काम नहीं चलता | उनके बिना किसी का काम इसलिए नहीं चलता क्योकि उनका चित्र भारतीय मुद्रा पर अंकित है, और मुद्रा के बिना किसी का काम कैसे चल सकता है |
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महात्मा गाँधी की तस्वीर 1987 में भारतीय नोटों पर छापना शुरू हुई | परन्तु तक 500 रूपए के नोट में गाँधी जी की तस्वीर को वाटरमार्क के रूप में प्रयोग किया गया था | पहले भारतीय नोट में अशोक स्तम्भ का प्रयोग किया जाता था | उसके बाद RBI ने सन 1996 में यह फैसला किया की अब भारतीय नोटों में महात्मा गाँधी की तस्वीर ही आयेगी | इसके बाद भारतीय नोट में अशोक स्तम्भ को नोट के दूसरी तरफ छोटे से रूप में शामिल किया गया और महात्मा गाँधी की तस्वीर को अशोक स्तम्भ के स्थान में लगाया गया |
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आपको इस बात को जानकार हैरानी होगी की नोट में छपने वाली महात्मा गाँधी की तस्वीर बनाई हुई नहीं बल्कि उनकी खींची हुई तस्वीर है | जो कोलकाता के वायसराय में खींची गई थी | इसके बाद उस तस्वीर का सिर्फ फेस लिए गया जो सभी भारतीय मुद्रा में आज अंकित है |
एक RTI के जवाब में केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बताया था, कि भारतीय करंसी पर वाटर मार्क एरिया में महात्मा गांधी की फोटो छापने की पहली सिफारिश 15 जुलाई 1993 को की गई थी। जबकि नोट के दाहिनी तरफ गांधी जी की तस्वीर को छापने की सिफारिश 13 जुलाई 1995 को RBI ने केंद्र सरकार को की थी। हालांकि इस RTI के जवाब में RBI ने ये भी बताया था, कि सरकार ने नोटों पर ये तस्वीर छापने का फैसला कब लिया और इसे कब से लागू किया गया और किस तारीख से महात्मा गांधी की फोटो भारतीय नोटों पर छापने का काम शुरू हुआ, इसकी जानकारी उनके पास नहीं है।
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