हिंदी सिनेमा के जब भी किसी लीजेंड की बात होती है तो बिमल रॉय का नाम इस लिस्ट में जरूर आता है | इस बात से तो हम सभी वाकिफ है की बिमल रॉय हिंदी सिनेमा के ऐसे फ़िल्मकारों में शामिल हैं, जिन्होंने अपनी फ़िल्मों से सिनेमा को दिशा दिखाने का काम किया, और सभी दर्शकों को फिल्म एक अलग तरह से देखने का नजरिया भी दिया।
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आपको जान कर हैरानी होगी की बिमल रॉय को वास्तविक सिनेमा का जनक भी कहा जा सकता है। दो बीघा ज़मीन, परिणीता, सुजाता और बंदिनी जैसी फ़िल्मों के ज़रिए बिमल रॉय ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों को उठाया, और देखने वालों ने उनकी सभी फिल्मों पर हमेशा ही अपना सकारात्मक भाव दिखाया और उन्हें हमेशा अपने काम की सरहाना भी दी । यह फ़िल्में आज भी क्लासिक मानी जाती हैं और सिनेमा के विद्यार्थियों के लिए एक इंस्टीट्यूट की तरह हैं। आज (12 जुलाई) को बिमल रॉय की 110वीं बर्थ एनिवर्सरी है।
बिमल रॉय की तमाम फ़िल्में वैसे तो अपने आप में लीजेंडरी और एवरग्रीन है इस बात में कोई दो राहें नहीं है मगर एक फ़िल्म का यहां हम विशेष रूप से उल्लेख कर रहे हैं, क्योंकि यह फ़िल्म ना होती तो हम बिमल रॉय जैसा फ़िल्मकार वक़्त से पहले खो देते। यह फ़िल्म है 'मधुमती', जिसने बिमल रॉय के मरणासन्न करियर में जान फूंक दी थी और उन्हें वक़्त की गर्द में खोने से बचा लिया, यहाँ तक की इस बात को कहना गलत नहीं होगा की यही वह एकमात्र फिल्म थी जिसने उनके करियर का तख्ता पलट कर दिया था ।