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English


Sneha Bhatiya

Student ( Makhan Lal Chaturvedi University ,Bhopal) | पोस्ट किया | शिक्षा


क्या आप रहीम के कुछ दोहे और उनका अर्थ बता सकते हैं ?


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Content Writer | पोस्ट किया


रहीम के दोहे के बारें में जानने से पहले हम रहीम की ज़िंदगी के बारें में कुछ जान लेते हैं । रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम खाने खाना है ।


रहीम का जन्म दिसंबर 1556, लाहौर में हुआ । रहीम के पिता का नाम मरहूम बैरम खाने खान और माता का नाम सुल्ताना बेगम था । रहीम एक विद्वान कवि थे और उनकी कुछ महत्वपूर्ण रचनाएँ रहीम दोहावली, रहीम सतसई, मदनाश्टक, रहीम रत्नावलीमृत्यु हैं । रहीम की मृत्यु सन् 1627 को हुई

रहीम के कुछ प्रसिद्द दोहे और उनके अर्थ :-

1 - रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय।

अर्थ :- रहीम के इस दोहे में रहीम जी कहते हैं कि संसार में प्रेम का धागा अर्थात हमारे रिश्ते बहुत नाजुक होते हैं । थोड़ा सा भी मनमुटाव आपके रिश्ते को ख़राब कर सकता है, और जब आप अपने रिश्ते सुधारते या उसको जोड़ते हैं तो रिश्ते में अविश्वास की गांठ लग जाती है जो कभी ख़त्म नहीं होती ।

2 - बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।

अर्थ :- मनुष्य को कोई भी बात सोच समझ के करना चाहिए । क्योकि अगर बात बिगड़ जाए तो बनने की सम्भावना कम होती है , जिस तरह दूध फट जाने पर आप कितना भी उसको मथ लें फाटे दूध से मक्खन नहीं निकाल सकते ।

3 - रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।

अर्थ :-
रहीम के इस दोहे में बहुत ही महत्वपूर्ण बात समझाई गई है । कभी भी किसी चीज को छोटा मत समझो और बड़ी चीज़ आने पर छोटी चीज़ को मत फेंको । क्योकि कई बार जहां छोटी सुई काम कर जाती है वहाँ तलवार का काम नहीं होता ।

Letsdiskuss (Courtesy : traffic-club )



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| पोस्ट किया


आप छोटे बच्चे से भी यदि रहीम जी के बारे में पूछ लेंगे तो उनके दोहे के बारे में आपको अवश्य बता देंगे रहीम दास जी का जन्म 1556 ईसवी में लाहौर में हुआ था। आज हम आपको यहां पर रहीम दास जी के दोहे और उनके अर्थ सहित के बारे में चर्चा करेंगे।

रहीम दास जी का दोहा

खैर, खून, खांसी, सुखी, बैर, प्रीति, मद्यपान ।

रहिमन दवे ना दबे, जानत सकल जहान।

अर्थ :- रहीम दास जी इस दोहे के माध्यम से कहना चाहते हैं कि शराब, रक्त, खांसी, सुख,शत्रुता, प्रेम, और मद्यपान जैसी चीजों को छुपाने से भी नहीं छुपाया जा सकता है। क्योंकि इन सभी चीजों की नशा तो सारी दुनिया जानती है इसलिए इसे छुपाना व्यर्थ है।Letsdiskuss


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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | पोस्ट किया


रहीम जी के दोहे - रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े,जुड़े गांठ पड़ जाए।। इसका यार दिया होता है कि अगर व्यक्ति का एक बार भरोसा टूट जाता है तो वह दोबारा नहीं जुड़ पाता है अगर व्यक्ति द्वारा दोबारा भरोसा करना भी चाहता है तो वह पहले जैसा उस व्यक्ति पर भरोसा नहीं कर पाता है। जैसे कि एक धागा टूट जाने पर अगर उसको व्यक्ति जोड़ता है तो उसमें एक गांठ पड़ जाती है।उसी प्रकार व्यक्ति के जीवन में अगर एक बार मतभेद हो जाता है तो पूरी जिंदगी भर उसके बीच एक मतभेद ही बना रहता है। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन में हर व्यक्ति से अच्छे संबंध बनाकर रखना चाहिए।

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