पिछले कुछ सालो से भारत में चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल होना शुरू हुआ है। शुरुआती दौर से यह मशीनें शक के दायरे में रही है और कई बार ऐसे भी किस्से सामने आये है की जहां पर यह मशीनें सही काम नही कर रही यह साबित हो चुका है। हर बार चुनाव के नतीजों के बाद हारनेवाले उम्मीदवार एवं पार्टियों ने इस मशीन के इस्तेमाल पर उंगली उठाई है।
मामला अदालत तक भी पहुंचा पर कोई सबूत न होने की वजह से इन मशीनों को बाइज्जत न सिर्फ बरी किया गया पर उनके इस्तेमाल की छूट भी मिल गई।
सौजन्य: डीबी पोस्ट
ईवीएम मशीन के विवाद को सुलझाने हेतु उस के साथ वीवीपीएटी मशीन को गठित किया गया की जिस से मत देनेवाले के पास प्रूफ रहे की उस ने किस पार्टी को मत दिया। इस प्रूफ की एक कॉपी चुनाव अधिकारी के पास भी जमा होती है और आखिर मे मतों के साथ एवं नतीजों के साथ वीवीपीएटी मशीन की पर्ची को मिलाकर परिणाम की पुष्टि की जाती है।
हालांकि अभी तक कई बार ऐसा हुआ है की पुरे चुनाव की पुष्टि नहीं हो पायी है। फिर भी एकबार फिर चुनाव आयोग यह मशीन के साथ चुनाव के लिए तैयार हो गया है। पूरे देश में एक चुनाव आयोग के अलावा शायद ही कोई होगा जिसे ईवीएम पर पूर्ण विश्वास हो। में नहीं मानता की वीवीपीएटी मशीन के इस्तेमाल से कोई बड़ा बदलाव आएगा और चुनाव में पारदर्शिता बनी रहेगी।