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नाच ना जाने आंगन टेढा से यह अभिप्राय यह है कि जब उसे नत्य करने के लिए कहा गया तो वह बहाना बना कर वहा से निकल गया। मतलब कोई अपने आप की तारिफ बड़ा चडा कर करता है पर वह उसका आधा भी नही होता है। उदाहरण के रूप मे जाने तो जैसे सुरेश ने खुद को बेहद बड़ा संस्कृत भाषा का विद्ववान कहा परंतु जब उसे उसके बारे मे संस्कृत भाषा मे समझाने के लिए कहा गया तो वह वहा से बहाना बना कर निकल गया।
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