एम्बामिंग प्रक्रिया है, जो मौत के बाद शव को सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी होती है | इंसान हज़ारों साल से शव को बचाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाता आया है और इसमें रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है | दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के फ़ॉरेंसिक चीफ़ डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने बीबीसी को बताया कि एम्बामिंग इसलिए की जाती है ताकि शव को सुरक्षित किया जा सके | उसमें कोई इंफ़ेक्शन न आए, बदबू न आए और उसे एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाया जा सके |
एम्बामिंग से शव को कितने दिन तक अच्छी हालत में रखा जा सकता है :-
उन्होंने जवाब दिया, ''ये इस बात पर निर्भर करता है कि शव पर किस रसायन का कितनी मात्रा में इस्तेमाल किया गया है | आम तौर पर जो तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं, उनकी मदद से शव को तीन दिन से लेकर तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है ''
उन्होंने कहा, ''मौत के बाद अगर शव को संरक्षित ना किया जाए तो वो नुकसान दे सकता है ''
''शव से अलग-अलग तरह की गैसें निकलती हैं, बैक्टीरिया का संक्रमण होता है | शव से मीथेन और हाइड्रोजन सल्फ़ाइड जैसी गैस निकलती हैं जो ना सिर्फ़ विषैली होती हैं और बदबू भी इन्हीं की वजह से आती है | इसके अलावा जो बैक्टीरिया निकलते हैं, वो दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं '' |
क्या हर बार जब शव को एक से दूसरी जगह ले जाया जाता है, तो एम्बामिंग ज़रूरी होती है :-
उन्होंने जवाब दिया, ''जी हां, ये ज़रूरी होता है. यहां तक कि जब कभी शव को ट्रांसपोर्ट किया जाता है, तो लिखा भी जाता है कि शव की एम्बामिंग हो चुकी है और इसे केमिकल से ट्रीट भी किया गया है '', ''और ये भी लिखा जाता है कि इससे कोई बदबू नहीं आएगी, किसी को नुकसान नहीं होगा और इसे सुरक्षित तरीके से ले जाया जा सकता है '' |