शेयर्स, स्टॉक्स के विपरीत डेरिवेटिव्स कारोबार में कोई डिलीवरी नहीं होती और सिर्फ मूल्य के अंतर के आधार पर डेरिवेटिव्स का सेटलमेंट किया जाता है | जैसे मान लीजिये आज निफ्टी 6500 पॉइंट्स पर है और मैं कहता हूँ की निफ्टी एक महीने बाद 7000 पॉइंट्स पर होगी और सेलर के साथ मैं 6800 पॉइंट्स पर 50 यूनिट खरीदने का अनुबंध कर लेता हूँ तो एक महीने बाद चाहे निफ्टी 7500 पर पहुँच जाये सेलर को निफ्टी मुझे 6800 पॉइंट्स पर देनी होगी | इस प्रकार मैं फायदे में रहूँगा |
वैसे ही मान लीजिये आज मैं सोना एक निर्धारित मूल्य पर खरीदने का करार करता हूँ तो चाहे सोने की कीमत कितनी भी बढ़ जाये सेलर को मुझे सोना उसी रेट पर बेचना होगा | हालाँकि डेरिवेटिव्स में एक्चुअल डिलीवरी नहीं होती और सिर्फ सेटलमेंट होता है | जैसे यहाँ फायदा होने पर मेरे पास 50 यूनिट्स निफ्टी 6800 पॉइंट्स कि होंगी और सोना एक निर्धारित मूल्य हा होगा |
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