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हिन्दू धर्म मे गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है,
गोवर्धन पूजा करने का धार्मिक मान्यता यह है कि भगवान श्रीकृष्ण इंद्र का घमंड चूर करने के लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक अंगुली पर उठाकर इंद्र का घमंड चूर कर दिया इसके बाद भगवान कृष्ण ने खुद ही कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करते है, तभी से गोवर्धन पूजा की प्रथा आज भी चल रही है। आज भी लोग गोबर से गोवर्धन बनाते है और 56भोग बनाकर पूजा करते है और उन्हें भोजन करवाते है।
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हिन्दू धर्म में कई त्यौहार ऐसे है, जिनका अपना ही महत्व है, इसमें से के गोबरधन पूजा भी है | गोबरधन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है | इस पूजा में गाय की पूजा की जाती है | गोबर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है | गाय को भी लक्ष्मी का एक रूप माना गया है | जिस तरह दिवाली के दिन लक्ष्मी जी का पूजन शुभ माना गया है, उसी प्रकार दिवाली के अगले दिन गोबर धन पूजा का भी अपना एक महत्त्व है |
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चलिए आज हम आपको गोवर्धन पूजा के महत्व के बारे में बताते हैं की क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा इसका क्या महत्व है हमारे हिंदू धर्म में दीपावली के त्यौहार के अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा की जाती है जैसा कि आप सभी जानते हैं कि गौ माता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप कहा जाता है जिस प्रकार माता लक्ष्मी हमें सुख समृद्धि प्रदान करती है उसी प्रकार गौमाता भी अपने दूध से स्वास्थ रूपी धन प्रदान करती है। जो व्यक्ति सच्चे मन से गोवर्धन यानी कि गौ माता की पूजा पाठ करते हैं उन्हें जीवन में सदा सुख रहने का वरदान प्राप्त होता है।
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