हरतालिका तीज के व्रत की विधि क्या है ?

| Updated on September 10, 2018 | Astrology

हरतालिका तीज के व्रत की विधि क्या है ?

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@kanchansharma3716 | Posted on September 10, 2018

हमारे हिन्दू धर्म में कई प्रकार की पूजा होती है, जो हमारे हिन्दू धर्म और संस्कृति के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती हैं | जैसा कि हमारी संस्कृति हमारे हिन्दू धर्म को सम्बोधित करती है, और हमारे धर्म की कई प्रकार से व्याख्या करती है, उसी प्रकार हमारे त्यौहार भी हमारी संस्कृति और धर्म को बताते है, और उनका महत्व समझाते है | जैसा कि आज हम बात कर रहे हैं, हरतालिका तीज की |


हरतालिका तीज का व्रत सुहागन औरतें अपने पति की लंबी उम्र के लिए लेती हैं | कई जगह हरतालिका तीज व्रत का महत्व करवाचौथ से भी अधिक माना जाता हैं | इस साल तीज व्रत 12 सितम्बर को मनाया जाएगा | हरतालिका तीज का व्रत तिथि के अनुसार भाद्रपद मास की अमावश्या के बाद आने वाली तीसरी तिथि को होता है | इस व्रत में माता पार्वती की आराधना व्रत और पूजन किया जाता है | जिससे सुहागन स्त्री के पति की उम्र लम्बी होती है, और अगर ये व्रत कुवारी लड़कियां लेती है तो उनको अच्छा वर मिलता है |

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पूजा और व्रत :-

- ये व्रत रात्रि 12 बजे के बाद से ही शुरू हो जाता है | इस व्रत को शुरू करने के लिए रात 12 बजे सबसे पहले खीरा काटकर खाया जाता है, उसके बाद ब्रश करना होता है | अब आपका व्रत शुरू हो जाता है, अब आप पानी का सेवन भी नहीं कर सकते हैं |

- सुबह उठा कर आप स्नान कर के तीज के व्रत की विधि शुरू कर सकते है | कुछ लोग तीज का पूजन घर में करते हैं, कुछ लोग मंदिर में करते हैं | अगर आप पूजन घर में करते हैं, तो आप अपने घर में पूजा स्थान बना लें |
- तीज व्रत के पूजन का समय शाम 4 बजे से शुरू होता हैं | आप अपने पूजा स्थान में भी तीज व्रत के पूजा का स्थान बना सकते हैं |

- सबसे पहले आप जिस जगह में पूजा करना चाहते हैं, वहाँ गंगाजल से पोछा लगा लें, फिर आटे से चौक बनाएं | चौक को हल्दी और रोली से सजाएं और उस पर लकड़ी का पतला रख लें |

- अब उस लकड़ी के पतले के ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं, और उसमें शिव पार्वती की मूर्ति रखें | (यह तीज व्रत के लिए बाजार में आसानी से मिल जाती है )

- पटले पर थोड़ा-थोड़ा चावल रखें और उस पर सुपारी से गौरी-गणेश की स्थापना करें | जिस जगह आपने शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित की है, उसके ऊपर फूलों से बनाया फुलेरा लगाएं | कलश स्थापित करें |

- अब पूजा शुरू करें - सबसे पहले पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़के, हल्दी और रोली अक्षत लगाएं | सुहाग का सामान चढ़ाएं, फूल माला ,फल चढ़ाएं , मिठाई चढ़ाएं , घी का दीपक जलाएं और भगवान का आवाहन करें |

- अब कथा पड़ें, हवन करें फिर आरती करें | इस व्रत में पूरे दिन भर न तो कुछ खा सकते है, और न ही पानी पिया जाता है, और इस व्रत में पूरी रात सोना भी वर्जित है |

- इस व्रत का पूजन हर बदलते पहर में किया जाता है | एक पूजा शाम 4 बजे, एक 8 बजे , एक रात 12 बजे उसके बाद सुबह 4 बजे | उसके बाद वापस स्नान करने के बाद सुबह 6 बजे इस व्रत के संम्पन्न होने का हवन किया जाता है | उसके बाद ही यह पूजा सम्पूर्ण होती है |

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