भारत के विरोध के बाद ऐसा लग रहा था, नेपाल विवादित नक्शे को संसद में पेश नहीं करेगा और ऐसे भी कयास लगाए जा रहे थे कि नेपाल की विपक्षी पार्टी "नेपाली कांग्रेस" इस विवादित नक्शे को लेकर पीछे हट रही थी और मामले को बातचीत से सुलझाने की बात कही थी. मगर आज यह सारा खेल नेपाल के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद खत्म कर दिया गया. यानी कि नेपाल के अब मानचित्र पर विवादित जगहों को भी जगह दे दी गई है.....
संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति विधेयक पर अंतिम मंजूरी मिलनी बाकी है.मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय समिति ने शनिवार को विधेयक का समर्थन करने का निर्णय किया.नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के आग्रह पर पिछले हफ्ते प्रस्तावित विधेयक को अंतिम समय में संसद की कार्यसूची से हटा दिया गया था.
दरअसल छह महीने पहले भारत ने अपना नया राजनीतिक नक़्शा जारी किया था जिसमें जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ के रूप में दिखाया गया था. इस मैप में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को भारत का हिस्सा बताया गया था. नेपाल इन इलाक़ों पर लंबे समय से अपना दावा जताता रहा है. उसके बाद नेपाल ने भी अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए अब नया हथकंडा अपना लिया है राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल धारा बिना बातचीत के ऐसा कदम उठाना भारत और नेपाल के रिश्ते में कड़वाहट देखने को मिल सकती हैं.
