भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वैसे तो बहुत क्रिकेट खेला है पर इस वर्ष हुए विश्वकप के फाइनल में पहुंच कर उन्हें एक नई पहचान मिली है| वैसे तो भारत विश्वकप फाइनल मुकाबले में हरा था| लेकिन भारतीय महिला ने जिस तरह इस विश्वकप में क्रिकेट खेला उससे उन्होंने करोडो भारतीय क्रिकेट फैंस के दिल में महिला क्रिकेट टीम के लिए नई पहचान बानी है| वैसे तो भारतीय महिलाये 2005 में भी विश्व कप में फाइनल तक चुनौती पेश कर चुका है, लेकिन उस वक्त देशवासियों पर महिला क्रिकेटरों का जादू नहीं चल सका था। इस बार भारतीय महिला टीम की कप्तान मिताली राज और बाकि टीम के खिलाडी जैसे झूलन गोस्वामी, हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना और दीप्ति शर्मा जैसी तमाम खिलाड़ियों को पहचानने ही नहीं लगे हैं बल्कि उनके खेलने के अंदाज और प्रदर्शन पर चर्चा भी होने लगी है। पहली बार इस विश्व कप में भारतीय टीम के मैच को लेकर उत्सुकता बनी रही। इस वजह से टेलिविजन पर मैच देखने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है|यह पहला मौका था, जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम चैंपियनों वाले अंदाज में खेली। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 171 रन की पारी खेलने वाली हरमनप्रीत कौर, विश्व कप में सर्वाधिक रन बनाने वालों में ब्यूमोंट से सिर्फ एक रन से पिछड़कर दूसरे स्थान पर रहने वाली मिताली राज, फाइनल में शानदार गेंदबाजी करने वाली झूलन गोस्वामी, पहली दो जीतों में अहम भूमिका निभाने वाली स्मृति मंधाना और उनकी ओपनिंग जोड़ीदार पूनम राउत ने शानदार प्रदर्शन करके देशवासियों की नजर में महिला क्रिकेट का दर्जा बढ़ाया है।
इस विश्व कप में मिताली राज की कप्तानी में भारतीय टीम के खेलने का अंदाज देशवासियों के दिलो-दिमाग पर छा गया है। आज देशवासी जानते हैं कि मिताली राज या हरमनप्रीत किस तरह खेलती हैं और झूलन गोस्वामी कैसी गेंदबाज है| आने वाले समय में महिला क्रिकेट टीम को भी वैसे ही भारत का हर नागरिक जाने गा जैसे भारतीय पुरुष टीम को जानते है|