कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाये
एक हिलोर इधर से आये, एक हिलोर उधर को जाये
नाश ! नाश! हाँ महानाश! ! ! की प्रलयंकारी आंख खुल जाये।
अंग्रेजी शासन के विरूद्ध हिन्दुस्तान की संगठित राष्ट्रभावना का प्रथम आह्वाहन एवं राष्ट्रीयता का जयनाद हिंदी की इन्ही चंद पंक्तियों से शुरू हुआ था ।भारत के स्वतंत्रता संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त वाहन राष्ट्रभाषा हिंदी हमारे मन के उद्गारों की अभिव्यक्ति का सुन्दर माध्यम है ।हिंदी वह भाषा है जिसे नवीन शब्द रचना का सामर्थ्य एवं संस्कृत शब्द सम्पदा विरासत में मिली है ।उत्तर-दक्षिण के भेद से परे हिंदी भाषा सदैव भारतीय विचारकों ,दार्शनिकों एवं राजनीतिक पुरोधाओं के लिए सशक्त साधन रही है ।हिंदी तो हमारे जीवन की प्राणवायु है, हमारे आँगन की भाषा है, हमारे स्थूल शरीर की चेतना है, हमारी प्रत्येक श्वास में विद्यमान है। यद्यपि मातृभाषा हिंदी के तो सभी दिवस हैं फिर भी आज #हिंदीदिवस पर संकल्प करें कि हम इसकी अद्भुतता का ,विलक्षणता का ,गांभीर्य का ,पवित्रता का एवं पूर्ण उच्चता का अनुभव हर शब्द में करते हुए हिंदी भाषा के गौरव की पुनर्स्थापना करेंगे एवं मातृभाषा को और सशक्त बनाएँगे ।
विश्व के सभी हिंदी प्रेमियों को “हिंदी दिवस” की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
