हम में से अधिकतर लोग अपने वजन का ध्यान रखना सीख गए हैं। लेकिन आंखों की देखभाल पर ध्यान नहीं जाता! टीवी देखना कम हुआ है तो मोबाइल फोन से चिपके रहने की आदत हो गई है। हेल्दी खाना खाने की कोशिश तो रहती है लेकिन हरी पत्तेदार सब्जियां कुछ कम ही पसंद आती हैं। दरअसल हम अपनी आंखों की देखभाल पर तनिक भी ध्यान नहीं देते हैं। जबकि सचाई तो यह है कि आंखें हैं तो दुनिया है। तो क्यों न आज ही से हम अपनी आंखों की देखभाल में लग जाएं ताकि जल्दी चश्मा न लगे आैर हम इस खूबसूरत दुनिया की तस्वीर आंखों में कैद करते रहें।
ओमेगा 3 फैटी एसिड, ल्यूटेन, जिंक, विटामिन सी आैर ई युक्त भोजन को अपनी थाली में परोसने की आदत डालने की कोशिश करें। पालक, काले जैसी पत्तेदार सब्जियां खूब खाएं। नन- वेज खाते हैं तो सालमन, टूना जैसी मच्छी खाएं। अण्डे, नट्स, बीन जैसे प्रोटीन युक्त भोजन से दोस्ती कर लें। संतरा आैर अन्य फल खाने से परहेज बिल्कुल न करें।
स्मोकिंग आपको पैटरैक्ट के नजदीक लाता है आैर आपके ऑप्टिक नर्व को खराब करके मकूलर डीजेनरेशन भी करता है। आपने सिगरेट छोड़ने की कोशिश कई दफा की तो है लेकिन उसमें सफल नहीं हो पाए हैं। इस बार डॉक्टर की मदद लेकर तो देखिए!
अच्छी क्वालिटी के सनग्लासेज आपकी आंखों की अल्ट्रावायलेट किरणों से सुरक्षा करते हैं। यूवी किरणों का अधिक एक्सपोजर कैटरैक्ट आैर मकूलर डीजेनरेशन के मौके बढ़ा देता है। इसलिए ऐसे सनग्लासेज का चयन कीजिए, जो 99 से 100 फीसद यूवीए आैर यूवीबी किरणों से आपकी आंखों की सुरक्षा करे। यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं तो उसमें युवी प्रोटेक्शन वाले का इस्तेमाल कीजिए। या चाहें तो सनग्लासेज लगाएं।
स्क्रीन टाइम कम करें। मोबाइल फोन, टीवी या लैपटॉप से लंबे समय तक चिपकने से बचें। इससे आंखों पर दबाव पड़ता है। ड्राई आई की समस्या होती है, सिरदर्द के साथ गर्दन, पीठ आैर कंधों में भी दर्द रहता है। लैपटॉप पर काम करते समय ग्लासेज लगाएं। बाजार में कंप्यूटर ग्लासेज मिलते हैं।