अपने गंतव्य स्थान पर जाने के लिए 700 किलोमीटर का सफर पैदल ही कर रहे मजदूरों का सफर बीच में ही खत्म हो जाता है. वायरस की वजह से लोग वैसे ही खौफ का शिकार हो चुके हैं दूसरी तरफ वह मजदूर जो इस तालाबंदी की वजह से अपना पेट नहीं पाल पा रहे हैं. उनके पास रहने को पैसे नहीं है.राशन खरीदने के लिए पैसे नहीं है. सरकार क्या प्रयास कर रही है और लोगों को के लिए क्या व्यवस्था की गई है....
इस बात की पोल 16 मजदूरों की मालगाड़ी की चपेट में आने के बाद खुल जाती हैं. यह मजदूर सभी मध्यप्रदेश के थे और अपने प्रदेश वापस पैदल ही लौट रहे थे. यह हादसा शुक्रवार की सुबह करीब 5.30 बजे के औरंगाबाद के जालना रेलवे फाटक के पास यह हादसा होता है. इनमें 21 लोग मौजूद थे 16 लोग पटेल को पर ही सो जाते हैं और यह दर्दनाक हादसा हो जाता है.
मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक औरंगाबाद से कई मजदूर पैदल सफर कर आ रहे थे, कुछ किलोमीटर चलने के बाद ये लोग ट्रैक पर आराम करने के लिए रुके, उस वक्त मालगाड़ी आई और उसकी चपेट में मजदूर आ गए. यह पटरी के सहारे मध्य प्रदेश जा रहे थे.मालगाड़ी के लोको पायलट का कहना है कि मालगाड़ी अपनी स्पीड में थी जैसे ही मेरी नजर सामने पटरी पर पड़े लोगों पर पड़ी तो मैं हक्का-बक्का रह गया मैंने ट्रेन रोकने की कोशिश की मगर मेरा प्रयास सफल नहीं हो सका एकदम मौके पर ट्रेन नहीं रुक सकती थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि 'महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुए रेल एक्सीडेंट में हुई मौतों से बहुत दुखी हूं.
रेल मंत्री पीयूष गोयल से बात की है और वह स्थिति की बारीकी से मॉनीटरिंग कर रहे हैं. आवश्यक हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मृतक मजदूरों के परिवार वालों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है.

