शिव जी के सिर पर चन्द्र कैसे पहुंचे
शिव पुराण के अनुसार चन्द्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से हुआ था। यह कन्याएं 27 नक्षत्र हैं। इनमें चन्द्रमा रोहिणी से विशेष स्नेह करते थे। इसकी शिकायत जब अन्य कन्याओं ने दक्ष से की तो दक्ष ने चन्द्रमा को क्षय होने का शाप दे दिया।
इस शाप बचने के लिए चन्द्रमा ने भगवान शिव की तपस्या की। चन्द्रमा की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने चन्द्रमा के प्राण बचाए और उन्हें अपने शीश पर स्थान दिया।
जहां चन्द्रमा ने तपस्या की थी वह स्थान सोमनाथ कहलाता है। मान्यता है कि दक्ष के शाप से ही चन्द्रमा घटता बढ़ता रहता है।
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