जहाँ स्वछता और पर्यावरण को लेकर देश में पूरी तरह से जागरूकता भी नहीं आई , वहीं प्रदुषण जैसे प्रमुख मुद्दे को कोई गंभीरता से नहीं लेता है | जहाँ पर्यावरण को लेकर इतनी गंभीर समस्या बनी हुई है वहीं ई कचरे को लेकर देश न तो कुछ सोच रहा है और न ही कोई कदम उठा रहा |
क्या है ई कचरा :-
ई कचरा - IT कंपनी से निकलने वाला वह कबाड़ा है, जो कि तकनीक में आ रहे परिवर्तनों की वजह से निकलता है और अधिक बढ़ रहा है | अर्थात जब भी कोई नै तकनीक आती है तो दूसरी कंपनी आई उस चीज़ में और अधिक बदलाव कर के कोई दूसरी चीज़ निकाल लेती है , जिसके कारण ई कचरे में काफी बढ़ोतरी हो रही है |
एक उदाहरण के रूप में आपको समझाते हैं -
जैसे पहले के समय में बड़े आकर के मॉनिटर आते थे, जिसके बदले में अब LED चल गए | पहले वायर वाले माउस थे अब उसके बदले लेज़र वाले माउस चल गए | इस तरह ई कचरे में बढ़ोतरी होती है |
आइये अब जानते हैं कि ई-कचरा फील्ड से कैसे भविष्य बना सकते हैं -
जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रबंधन विभाग के निदेशक सोनू सिंह का कहना है "ई-कचरा क्षेत्र में देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने और रोजगार उत्पन्न करने की महत्वपूर्ण क्षमता है" और साथ ही 'करो संभव' के संस्थापक और निदेशक, प्रांशु सिंघल ने ई कचरे को लेकर कहा "आईएफसी की हमारे साथ साझेदारी ने एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया है, जो जिम्मेदार रीसाइकलिंग के लिए ई-कचरा को नियंत्रित करने की एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली बनाने में सक्षम बनाता है"
(Courtesy : metroencounter )