कब तक बैंक को चूना लगते रहेंगे लोग,क्या ...

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| Updated on February 22, 2018 | News-Current-Topics

कब तक बैंक को चूना लगते रहेंगे लोग,क्या ये सिलसिला कभी खत्म होगा ?

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@kanchansharma3716 | Posted on February 22, 2018

नमस्कार सतनाम सिंह जी, आपका सवाल बहुत ही सराहनीय है | और जितना इस सवाल मे सच्चाई है वो सभी लोग जानते है | आपका यह सवाल आज के वर्तमान समय के लिए बहुत महत्व पूर्ण भूमिका रखता है | देश मे ईमानदारी होना बहुत जरुरी है | जो आज कल नहीं रह गए |


वर्तमान समय जितना आधुनिक होता जा रहा है उतना ही विवदित और धोकाधड़ी का मामला सामने आता जा रहा है | जहा देखो सिर्फ धोका ही नज़र आ रहा है | ये देश इतना विवादित हो गया है के इसमें अब कोई व्यक्ति अगर इमानदारी से काम करे तो वो एक साधारण ज़िंदगी नहीं जी सकता | आज के समय मे जितनी भी धोकाधड़ी हो रही है उससे कही न कही ईमानदार इंसान किसी और की गलती भुगत रहा है |वर्तमान समय मे जो कुछ भी गलत हो रहा है उसका असर इंसान के काम पर और उसकी निजी ज़िंदगी पर पड़ रहा है |


पंजाब नेशनल बैंक, यानी PNB का नाम आजकल सुर्खियों में लगातार छाया हुआ है और बैंक को 'चूना लगने' तथा उसके बेवकूफ बन जाने की कहानी बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर है | यह धोकाधड़ी होने पर एक ही ऐसे ईमानदार इंसान की छवि उभर के सामने आती है जिनका PNB बैंक से लिया हुआ लोन उनके मरने के बाद उनकी पत्नी ने अपनी मासिक पेंशन से चुकाया |

PNB के जिस ग्राहक का ज़िक्र किया है, वह और कोई नहीं,भारत देश में ईमानदारी और दृढ़ता की मिसाल माने जाने वाले भूतपूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री थे, जो भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा।जिन्होंने वर्ष 1965 में PNB से फियेट कार खरीदने के लिए 5,000 रुपये का कर्ज़ लिया था |

लाल बहादुर शास्त्री के बैंक अकाउंट में 7 हजार रुपये थे, मगर नई कार की कीमत 12 हजार रुपये थी | इसके लिए पूर्व पीएम शास्त्री ने पीएनबी में लोन के लिए अप्लाई किया था और उन्हें उसी दिन लोन भी मिल गया था | लोन लेकर पूर्व पीएम ने जो कार खरीदी थी, उसका नंबर DLE 6 था | 1965 में फियेट कार खरीदने के लिए पंजाब नेशनल बैंक लोन लिया था |

मगर इसके एक साल बाद 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की मौत ताशकंद में हो गई | जब शास्त्री जी की मौत बिना लोन चुकाए हो गई तो बैंक ने उनकी पत्नी ललिता शास्त्री को एक पत्र लिखा, जिसमें पांच हजार रुपये बैंक के लोन बकाया होने का जिक्र था और इस बीच इंदिरा गाँधी द्वारा भेजी लोन माफ़ की अर्जी को ललिता शास्त्री ने स्वीकार नहीं किया और उसके बाद उनकी पत्नी ने परिवार के पेंशन के पैसे बैंक को लोन को चुकता किया |

पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना 1894 में हुई थी | मगर अभी यह बैंकिंग सेक्टर के सबसे बड़े फ्रॉड का सामना कर रही है |


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