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sahil sharma

| पोस्ट किया | शिक्षा


लोक सभा में कितनी सीट है?


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university.nakul@gmail.com | पोस्ट किया


लोक सभा, जिसे भारत की संसद का निचला सदन कहा जाता है, भारतीय लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है। यह देश की जनता के प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व का मंच है, जहाँ देश के विभिन्न हिस्सों से चुने गए सांसद (संसद सदस्य) राष्ट्रीय नीतियों, कानूनों और विधानों पर चर्चा करते हैं तथा उन्हें पारित करने का कार्य करते हैं।

 

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लोक सभा में कुल सीटों की संख्या

भारत के संविधान के अनुसार, लोक सभा में अधिकतम 552 सदस्य हो सकते हैं। हालाँकि, वर्तमान में लोक सभा में कुल 545 सीटें हैं, जिनमें से 543 सीटें जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से भरी जाती हैं, और 2 सीटें राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधियों के लिए नामांकित की जाती थीं (हाला���कि, 104वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के तहत अब यह प्रावधान हटा दिया गया है)।

 

संविधान के अनुच्छेद 81 के अनुसार, लोक सभा में सीटों की संख्या भारत की जनसंख्या के आधार पर तय की जाती है। प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को उनकी जनसंख्या के अनुपात में लोक सभा में प्रतिनिधित्व दिया जाता है।

 

लोक सभा सीटों का विभाजन

लोक सभा की कुल सीटों को विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया है। यह विभाजन इस प्रकार किया गया है:

 

  1. राज्यों की लोक सभा सीटें – राज्यों को उनकी जनसंख्या के अनुसार सीटें दी जाती हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक सीटें (80) मिली हैं, क्योंकि यह भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। इसी प्रकार महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु को भी उच्च संख्या में सीटें दी गई हैं।

  2. केंद्र शासित प्रदेशों की लोक सभा सीटें – केंद्र शासित प्रदेशों में भी कुछ सीटें आवंटित की गई हैं। जैसे, दिल्ली को 7 सीटें मिली हैं, जबकि पुडुचेरी, चंडीगढ़ और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों को 1-2 सीटें आवंटित की गई हैं।

  3. अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित सीटें – लोक सभा में कुछ सीटें अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित होती हैं। यह आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 330 के तहत दिया गया है ताकि इन वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।

 

लोक सभा सीटों की संख्या का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

लोक सभा सीटों की संख्या में समय-समय पर परिवर्तन हुआ है। इसका इतिहास निम्नलिखित है:

 

  1. 1952 (प्रथम लोक सभा) – पहली लोक सभा में कुल 489 सीटें थीं।

  2. 1957 – लोक सभा सीटों की संख्या बढ़कर 494 हो गई।

  3. 1962 – इस संख्या को बढ़ाकर 522 कर दिया गया।

  4. 1971 जनगणना के आधार पर पुनर्गठन – 1976 में, 42वें संविधान संशोधन के तहत यह तय किया गया कि 2001 तक लोक सभा सीटों की संख्या नहीं बदली जाएगी।

  5. 2001 के बाद स्थिति – 2001 की जनगणना के बावजूद, 84वें संविधान संशोधन (2002) के तहत सीटों की संख्या 2026 तक स्थिर रखी गई।

 

इसका अर्थ यह है कि 1971 की जनगणना के आधार पर ही लोक सभा की सीटों का वितरण अभी भी लागू है, और अगला पुनर्गठन 2026 के बाद संभावित हो सकता है।

 

लोक सभा सीटों के पुनर्गठन और भविष्य की संभावनाएँ

लोक सभा सीटों के पुनर्गठन की चर्चा समय-समय पर होती रहती है। कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:

 

  1. 2026 में परिसीमन आयोग द्वारा पुनर्निर्धारण – 84वें संविधान संशोधन के अनुसार, 2026 के बाद लोक सभा सीटों की संख्या में बदलाव संभव है।

  2. जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव – भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, और कुछ राज्यों की जनसंख्या अन्य राज्यों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी है। इससे भविष्य में राज्यों के बीच सीटों के पुनर्वितरण की आवश्यकता हो सकती है।

  3. असमान प्रतिनिधित्व की समस्या – चूंकि वर्तमान सीटों का विभाजन 1971 की जनगणना पर आधारित है, कुछ राज्यों को उनकी वर्तमान जनसंख्या के अनुपात में कम प्रतिनिधित्व मिल रहा है। इसलिए, नई जनगणना के आधार पर सीटों का पुनर्वितरण किया जा सकता है।

 

लोक सभा में प्रतिनिधित्व का महत्व

लोक सभा भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसके माध्यम से नागरिकों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

 

  1. प्रत्यक्ष जनप्रतिनिधित्व – भारत के नागरिक अपने मताधिकार के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो उनकी आवाज संसद में उठाते हैं।

  2. नीतियों और कानूनों का निर्धारण – लोक सभा में पारित होने वाले कानून पूरे देश की शासन प्रणाली को प्रभावित करते हैं।

  3. जनहित के मुद्दों पर चर्चा – लोक सभा में विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा होती है, जिससे नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन संभव हो पाता है।

  4. सरकार का उत्तरदायित्व – लोक सभा में विपक्षी दलों को सरकार की नीतियों की समीक्षा करने का अवसर मिलता है, जिससे सरकार को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग रहना पड़ता है।

 

निष्कर्ष

लोक सभा भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला है, जहाँ जनता के चुने हुए प्रतिनिधि देश की नीतियों और कानूनों का निर्धारण करते हैं। वर्तमान में इसमें 543 निर्वाचित सदस्य होते हैं, और 2 नामांकित सीटें पहले हुआ करती थीं, जो अब हटा दी गई हैं।

 

2026 में संभावित पुनर्गठन के बाद लोक सभा सीटों की संख्या में वृद्धि हो सकती है, जिससे अधिक न्यायसंगत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सकेगा। लोक सभा की सीटों का विभाजन जनसंख्या के आधार पर किया जाता है, और यह भारतीय लोकतंत्र में जनता की सक्रिय भागीदारी को प्रतिबिंबित करता है।

 

लोक सभा की सीटों की संख्या और उनका पुनर्गठन भारतीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को प्रभावी और संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, भविष्य में लोक सभा सीटों की संख्या में संभावित वृद्धि का असर देश की राजनीतिक और सामाजिक संरचना पर व्यापक रूप से देखा जा सकता है।

 


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