पूजा, अर्चना , औरप्रार्थना इन सभी शब्दों के मायने भले ही एक हो लेकिन इसका अर्थ सभी के दिमाग में अलग अलग होते हैं| लेकिन मेरा ऐसा मानना हैं की जब प्रार्थना करने के लिए अपने हाथ उठाते हो तो वह न केवल किसी अनदेखी शक्ति के सामने सर झुकाना होता हैं, बल्कि यह आपके अनदेखे विचारो को भी लोगो के सामने दर्शाता हैं, की आप कितने विनम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं और जरुरत पड़ने पर किसी छोटे या बड़े के सामने सर झुकाने में आपको कभी कोई आपत्ति नहीं होगी|
(courtesy -patrika )
वो कहते हैं ना
"कश्ती रवां-गवां है इशारा है नाखुदा
तूफान में कश्ती का सहारा है नाखुदा"
इसका मतलब हैं की अगर आपके जीवन की कश्ती लहरों में फस जाएं तो उसे केवल ऊपर वाला ही निकाल सकता हैं, साधारण शब्दों में कहने का मतलब यह हैं की यह अनदेखा विश्वास की आप लहरों से बच जाएंगे यह होती हैं प्रार्थना|
इसलिए मेरा मानना तो यही हैं की आप विनम्र रहो किसी के सामने झुकने से डरो मत यही एक सच्ची प्रार्थना होती हैं, और ऐसी प्रार्थना जरूर असर लाती हैं, इसलिए एज्ह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा की प्रार्थनाओ में बहुत असर होता हैं|