यह बात तो हम सभी जानते है कि अगर कोई भी इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे फोन, कंप्यूटर, प्रिंटर खराब हो जाता है और आप उसे फेक देते है औरयह पर्यावरण के साथ -साथ मनुष्य के लिए भी घातक साबित होता है, और आने वाले समय में यह बड़ी समस्यां का रूप ले लेगी |
Loading image...
(courtesy -Rubicon Global )
सोना, चांदी और तांबे जैसी कई कीमती धातुओं को इलेक्ट्रॉनिक कचरे से अलग करने के लिए असंगठित क्षेत्र में हानिकारक तरीके अपनाए जाते हैं | इसलिए भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका निकला है जिससे हम सभी पर्यावरण को नुकसान पहुचायें बिना ई-कचरे को रीसायकल कर पाएं |
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT), मिजोरम, सीएसआईआर- खनिज और पदार्थ प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमएमटी), भुवनेश्वर और एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मोदीनगर के वैज्ञानिकों ने इस बात की खोज कि कैसे हम ई-कचरे से सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं को निकालने के लिए माइक्रोवेव ऊष्मायन (Incubation) और अम्ल निक्षालन (Acid Nitrogen) जैसी प्रक्रियाओं को मिलाकर एक नई विधि विकसित की है |
Loading image... (courtesy -Phys)
यह नयी विधि सात स्तर पर काम काम करेगी, और इस विधि में इ - कचरे का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले माइक्रोवेव भट्टी में 1450-1600 डिग्री सेंटीग्रेड ताप पर 45 मिनट तक ई-कचरे को 45 मिनट तक गरम किया जायेगा उसके बाद पिघले हुए प्लास्टिक और धातु के लावा को अलग-अलग किया जाता है | इस तकनीक के इस्तेमाल से ई-कचरे को रीसायकल किया जाएगा |
यह पूरा अध्यन शोध पत्रिका करंट साइंस में प्रकाशित किया गया जिससे पता चला की इस पूरे मामले में राजेंद्र प्रसाद महापात्रा, डॉ. सत्य साईं श्रीकांत, डॉ बिजयानंद मोहंती और रघुपत्रुनी भीम राव जैसे बड़े अध्यनकर्ताओं के नाम शामिल थे |