
पूरी तरह स्वस्थ रहन के लिए हमारे पेट को ठीक करना बहुत जरुरी हैं और पेट का स्वस्थ रहने के लिए आंतों का स्वस्थ रहना जरूरी है. आंतों की सेहत पर लाइफस्टाइल का जबरदस्त असर होता है. ज्यादा कैलोरी वाले जंक फूड और शराब का अधिक सेवन, इसके अलावा रेशेदार भोजन और हरी सब्जियां न खाने से पाचन तंत्र के रोगों का खतरा बढ़ जाता है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है. गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, फंक्शनल डिस्पेप्सिया, मोटापा, लीवर में फैट जमना और पेप्टिक अल्सर जैसे रोग लाइफस्टाइल से जुड़े गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों में शामिल हैं|अकसर तनाव में रहने से भी आपका हाजमा खराब हो सकता है| लंबे समय तक जारी रहने पर तनाव की वजह से इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम और पेट में अल्सर जैसी पाचन संबंधी तकलीफें हो सकती हैं पेट की हल्की लेकिन बार-बार शिकायतें होने पर जीवनशैली में थोड़े-बहुत बदलाव खास तौर पर फायदेमंद हो सकते हैं. इनमें बिस्तर पर सिर ऊंचा रखकर सोना, तंग कपड़े न पहनना, वजन ज्यादा होने पर उसे घटाना, शराब और सिगरेट का इस्तेमाल कम करना, खुराक में बदलाव करना, भोजन के तुरंत बाद लेटने से बचना और सोते समय खाने से बचना शामिल है. मोटापा चिंताजनक स्तर पर बढ़ रहा है.पाचन संबंधी रोग शरीर में जगह न बना सकें, इसके लिए जरूरी है कि वजन जरूरत से ज्यादा न होने दे. वजन न बढ़े, इसके लिए रेशे वाले साबुत अनाज, फल, हरी सब्जियां और डेयरी उत्पादों के अधिक सेवन के साथ पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ भी लेना चाहिए. एक ही बार में बहुत ज्यादा भोजन करे इससे पाचन नली पर दबाव बढ़ सकता है. इसलिए ज्यादा बेहतर यह होगा कि दिन भर में नियमित अंतराल पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन करते रहे|पोषक खुराक लें, कसरत करें, धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें, खुद को साफ रखने के अलावा टीके वगैरह भी जरूरी हैं. पेट, बड़ी आंत, लीवर कैंसर की जांच भी करवाएं|