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Satindra Chauhan

| पोस्ट किया |


आधार को वोटर आईडी से जोड़ने से भारतीय लोगों को क्या फायदा होगा?


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Social Activist | पोस्ट किया


पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले वोटर आईडी को आधार से लिंक करने वाले विधेयक का लोकसभा से पास होना सबके लिये एक कुतूहल का विषय है। इससे सरकार को या किसी आम-नागरिक को क्या नफ़ा-नुकसान है, यह जानना ज़ुरूरी है।

सरकार का कहना है कि इससे फर्जी मतदान यानी 'फ़ाल्स-वोटिंग' पर लगाम लगेगी। जबकि विपक्षियों को इस 'चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक' पर, जो आधार को वोटर आईडी से जोड़ने वाला है, इसलिये आपत्ति है कि इससे व्यक्ति की निजता पर आंच आ सकती है।

गौरतलब है कि ये आरोप नये नहीं हैं। स्वयं आधार के बनते समय शुरू-शुरू में ऐसे ही निजता खतरे में पड़ने संबंधी तर्क दिये जा रहे थे। पर आज हम उन बातों की अपेक्षा आधार के फ़ायदे और सहूलियतों को कहीं अधिक समझते हैं।

कैबिनेट के कानून मंत्री किरेण रिजेज़ू ने इस वोटर आईडी को आधार से जोड़ने वाले नये प्रावधान के बारे में मीडिया से बात करते हुये कहा कि यह ऐच्छिक है, और इससे 'एड्रेस' पता चलेगा साथ ही फर्जी मतदान पर भी प्रभावी रोक लगेगी।

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जानकार मानते हैं कि देश में अभी करोड़ों की संख्या में डुप्लीकेट वोटर आईडी बनी हुई है। 'चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक' से यह ख़त्म होने की उम्मीद की जा सकती है। इसके अलावा वोटर आईडी को आधार से लिंक कर देने पर घुसपैठियों को पकड़ने में भी मदद मिलेगी। कुल मिलाकर फेक वोटर आईडी के ज़रिये अब तक जो कुछ भी गोरखधंधा चल रहा था, उन सब पर लगाम लगेगी। फिर वो मोबाइल 'कनेक्शन' लेना हो कि राशन कार्ड बनवाना। हां, अब तक मतदाता सूची में नाम आने के लिये साल भर इंतज़ार करना पड़ता था। पर नये 'चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक' के मुताबिक अब यह खिड़की साल में चार बार खुलेगी। इससे नागरिकों को मतदाता सूची में अपना नाम बढ़वाने में सहूलियत मिलेगी।

ज़ाहिर है कि आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करने के तमाम फ़ायदे हैं। जो सबके हित में हैं। हालांकि 'डेटा-लीक' होने के भी अपने ख़तरे हैं। और हाल में ऐसी तमाम घटनायें सामने आ चुकी हैं जो हमें इस मामले में अतिरिक्त सतर्कता बरतने की ताकीद करती हैं। पर इसी संदेह के आधार पर किसी प्रगतिशील अधिनियम को गलत करार देना उचित नहीं। सो, हमें वोटर आईडी को आधार से लिंक करने वाले 'चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक' का सार्वजनिक हित अथवा राष्ट्र-हित के लिहाज़ से स्वागत ही करना चाहिये। क्योंकि इसकी ख़ूबियां इसकी ख़ामियों से कहीं बढ़कर हैं।

और पढ़े- भारत में सबसे पहले आधार कार्ड किसका बना था।


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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | पोस्ट किया


आधार कार्ड को वोटर कार्ड मैं लिंक करवाने से यह पता चलता है की कोई व्यक्ति फर्जीवाड़ा तो नहीं है. आधार कार्ड को वोटर कार्ड में लिंक करने से यह होता है कि जो व्यक्ति जहां का है वहीं पर ही वोट दे सकता है! आधार कार्ड को वोटर कार्ड में लिंक करवाने से यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग का एक अहम पार्ट होगा. आधार कार्ड लिंक होने से यह पता चलता है कि कौन से व्यक्ति ने वोट डाली है या नहीं! आज आधार कार्ड को अधिक महत्व दिया जा रहा है आधार कार्ड के बिना बहुत से काम भी रुक जाते हैं! आधार कार्ड को वोटर कार्ड में लिंक चुनाव के कारण भी करवाया जाता है! यह चुनाव का एक मेन पार्ट बन चुका है! आधार कार्ड वोटर आईडी में लिंक करने के कई सारे फायदे होते हैं! लेकिन इसके नुकसान भी होते हैं Letsdiskussजो कई सारे मामले सामने आए!


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| पोस्ट किया


आधार को वोटर आईडी से जोड़ने के लिए चुनावी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।सरकार ने भारतीय चुनाव आयोग के वोटर आईडी को आधार के साथ जोड़ने का प्रस्ताव किया है। आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करने के तमाम फायदे हैं जो सबके हित में है हालांकि डेटा लीक होने के अपने खतरे हैं। आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक कराने से यह फायदा है जो व्यक्ति जहां पर होगा वहीं पर रह कर वोट डाल सकता है और इससे यह भी पता लगाया जा सकता है कि कौन सा व्यक्ति वोट डाल चुका है या नहीं। लेकिन इसकी खूबियां इसकी खामियों से कहीं बढ़कर है।Letsdiskuss


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