धर्मनिरपेक्षता को आप कैसे परिभाषित करेंग...

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| Updated on February 14, 2020 | News-Current-Topics

धर्मनिरपेक्षता को आप कैसे परिभाषित करेंगे?

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@poojamishra3572 | Posted on February 14, 2020

अगर इस शब्द के इतिहास की तरफ गौर किया जाये तो धर्मनिरपेक्षता (सेक्यूलरिज़्म) शब्द का पहले-पहल प्रयोग बर्मिंघम के जॉर्ज जेकब हॉलीयाक ने सन् 1846 के दौरान, अनुभवों द्वारा मनुष्य जीवन को बेहतर बनाने के तौर तरीक़ों को दर्शाने के लिए किया था। उनके अनुसार, “आस्तिकता-नास्तिकता और धर्म ग्रंथों में उलझे बगैर मनुष्य मात्र के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक, बौद्धिक स्वभाव को उच्चतम संभावित बिंदु तक विकसित करने के लिए प्रतिपादित ज्ञान और सेवा ही धर्मनिरपेक्षता है”।

अगर हम इसकी परिभाषा से इसे समझाए तो यह एक तरह से नास्तिकता-आस्तिकता एवं धर्म ग्रंथो मे उलझे बगैर मानव मात्र के शारीरिक, मानसिक,चारित्रिक एवं बौद्धिक स्वभाव को उच्चतम संभावित बिंदु तक विकसित करने के लिए प्रतिपादित विद्या एवं सेवा का नाम ही धर्मनिरपेछता है।मगर संविधान मे धर्मनिरपेछता आदर्श के रूप मे रखा गया है, इससे आशय है कि कोई भी राज्य किसी भी धर्म विशेष को राज्य के धर्म के रूप मे घोषित नहीं करेगा, किसी भी नागरिक के साथ धार्मिक आधार पर भेद-भाव नही किया जायेगा।साधारण शब्दों में केवल इतना ही की धर्मनिरपेछता हमारे संविधान की शान है और सबको इस पर गर्व का भाव रखना चाहिए।

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