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Satindra Chauhan

| पोस्ट किया |


यदि पति और पत्नी एक ही स्थान पर सरकारी पद पर कार्यरत हो तो क्या दोनों को एच आर ए का लाभ मिलेगा?


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Social Activist | पोस्ट किया


एचआरए यानी 'हाउसिंग रैन्टल एलाउंस' (housing rental allowances) का अर्थ है-- मकान किराया भत्ता। जो सरकार अपने कर्मचारियों को रहने हेतु प्रदान करती है। और अगर कर्मचारी किसी किराये के मकान में रहता है तो उसे कर में छूट मिलती है।

यदि कर्मचारी किसी मेट्रो-सिटी यानी बड़े शहरों में निवास करता है,तो वेतन का पचास फ़ीसदी, और यदि गैर-मेट्रो सिटी में है तो चालीस फ़ीसदी मकान किराया भत्ता बनता है। यहां, वास्तविक चुकाये गये किराये से वेतन का 10 प्रतिशत घटाकर गणना उद्देश्यों के लिये माना जाने वाला मूल-वेतन है।

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प्रावधान --

सातवें वेतन-आयोग के नियमों के अनुसार जब महंगाई- भत्ता 25 फ़ीसद से ज्यादा होगा, तब 'हाउस रेंट अलाउंस' यानी एचआरए में भी बढ़ोत्तरी होगी। अब कर्मचारीगणों का महंगाई-भत्ता 28 फ़ीसदी हो चुका है; जिसका मतलब है कि इन श्रेणी के शहरों में क्रमशः 27,18 और 9 प्रतिशत की दर से मकान किराया भत्ता यानी कि 'एचआरए' मिलेगा। जो अब तक क्रमशः -- 24, 16 व 8 फ़ीसद पर था। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में इसमें ग्यारह प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है, जिससे करीब 1.14 सरकारी कर्मियों को फ़ायदा पहुंचेगा। केंद्रीय कर्मचारीगणों में पति-पत्नी दोनों को एचआरए यानी 'हाउसिंग स्कीम' पाने का अधिकार है।

पारिवारिक मामलों में --

कर छूट का दावा करने वाले व्यक्ति को किराये के परिसर का मालिक नहीं होना चाहिये। यदि आप अपने माता-पिता के साथ रहते हैं, और उन्हें किराया भुगतान करते हैं, तो आप अपने वेतन से एचआरए छूट पा सकते हैं। हालांकि आप अपने जीवनसाथी को किराये का भुगतान नहीं कर सकते। यदि आप अपने माता-पिता के लिये आवास ले रहे हैं, तो अपने दस्तावेज़ों के साथ ही वित्तीय लेन-देन का औपचारिक प्रमाण मौज़ूद है। ध्यान रहे कि सुनिश्चित न होने की दशा में एजेंसी आपके दावे को अस्वीकार भी कर सकती है। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा अपने माता-पिता को दिया गया किराया, आपके माता-पिता की सालाना कर योग्य आय में जुड़ जाती है। वेतनभोगी सरकारी कर्मियों को आयकर अधिनियम में स्थापित विभिन्न शर्तों के तहत आयकर से छूट के लाभ भी मिलते हैं।

गणना उद्देश्यों के लिये माना जाने वाला वेतन 'मूल-वेतन' ही होता है। यदि बिक्री कुल लेन-देन यानी कि 'टर्नओवर' के आधार पर बोनस अथवा कमीशन भी मिलता है, तो 'एचआरए' छूट की गणना हेतु मूल-वेतन में 'महंगाई-भत्ता' भी जुड़ता है। ध्यातव्य है कि कर-लाभ कर्मचारीगणों को तभी तक प्राप्य है, जब तक वे किराये के आवास में रहते हैं।

'एचआरए' यानी मकान किराया भत्ता में कटौती के नियम --

1- यदि वार्षिक किराया एक लाख से अधिक है, तो कर्मचारियों को मकान-मालिक के पैन नंबर की जानकारी देनी होगी

2- एचआरए में कर-छूट का लाभ पाने के लिये किराये की रसीदें दिखानी होती हैं। इसके तहत आप यदि किसी बाहरी मकान-मालिक के बजाय अपने परिजनों, यथा माता-पिता को भी किराये का भुगतान करते हैं, तो उसकी भी रसीद होनी चाहिये

3- हालांकि आप अपने जीवनसाथी को किराये के भुगतान की रसीद दिखाकर 'टैक्स में छूट' का दावा नहीं कर सकते। और न ही अपने घर में रहने वाले किसी अन्य कर्मचारी द्वारा प्राप्त 'एचआरए' पर

उपरोक्त के अलावा कर-कटौती संबंधी दावा करते समय ख़याल रक्खें कि व्यक्ति, पति या पत्नी, नाबालिग बच्चों या हिंदू अविभाजित परिवार के सदस्य के पास कोई संपत्ति नहीं होनी चाहिये। यदि व्यक्ति के पास कोई आवासीय संपत्ति है, और वह उससे किराये की कमाई करता है, तो किसी कटौती की अनुमति नहीं है।

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यदि पति-पत्नी एक ही साथ रहते हैं, तो एचआरए संबंधी प्रावधान --

अगर आप पति-पत्नी वास्तव में एक ही मकान में रहते हैं, पर किराये की अदायगी अलग-अलग तौर पर करते हैं, तो आप दोनों आयकर की धारा -- 10 (13A) के तहत 'एचआरए' छूट के हकदार हैं।

केंद्र सरकार के सेवा-नियमों के अनुसार एक ही मुख्यालय पर कार्यरत पति व पत्नी दोनों को मकान किराया भत्ता यानी 'एचआरए' देने की समान रूप से व्यवस्था है। पर प्रदेश-स्तर पर विभिन्न सूबों में समय-समय पर इसे लेकर जनहित-याचिकायें दायर की जाती रही हैं। इसमें करीब पांच वर्ष पूर्व आगरा के भीम सिंह द्वारा दाखिल याचिका को ख़ारिज करते हुये तत्कालीन इलाहाबाद और वर्तमान में प्रयागराज हाईकोर्ट ने इसे संगत बताया कि यदि पति-पत्नी एक ही स्थान पर कार्यरत हैं, तो दोनों को 'एचआरए' यानी कि मकान किराया भत्ता मिलना चाहिये।

इस तरह हम समझ सकते हैं कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी पति-पत्नी एक ही जगह रहते हैं तो उन्हें भी अलग-अलग 'एचआरए' यानी मकान किराया भत्ता मिलने का प्रावधान है। बशर्ते, अन्य शर्तें पूरी हो रही हों..


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