IPC की धारा 497 क्या है ?

S

| Updated on September 28, 2018 | News-Current-Topics

IPC की धारा 497 क्या है ?

1 Answers
785 views
S

@seemathakur4310 | Posted on September 28, 2018

सर्वोच्च न्यायालय आजकल अत्यधिक फुर्ती में लगता है तभी तो वह एक के बाद एक ऐतिहासिक फैसले ले रहा है | अभी धारा 371 को खारिज किये कुछ ही समय हुआ था कि सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 497 को भी ख़ारिज कर दिया है | यह धारा, धारा 371 से भी अधिक विवादों कि स्थिति में हैं क्योंकि इस धारा ने पति पत्नी के वैवाहिक रिश्ते से जुड़े कानून को हटाया है | भारत में जहाँ बात प्रेमसंबंधों की आती है वहीं हर तरफ कोहराम मचना शुरू हो जाता है, और ऐसा ही कुछ आजकल हो रहा है |

Loading image...

धारा 479 अथवा अडल्ट्री कानून क्या है ?

धारा 479 के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति की पत्नी अपनी शादी से बाहर किसी और व्यक्ति से शारीरिक सम्बन्ध रखती है तो उस व्यक्ति को यह कानूनी अधिकार होगा कि वह अपनी पत्नी के प्रेमी के खिलाफ मामला दर्ज करा सके और उसे जेल पहुंचा सके | अडल्ट्री का अर्थ व्यक्ति का विवाह से बाहर प्रेम सम्बन्ध रखना है जो धारा 497 के अनुसार अपराध था परन्तु अब नहीं है | इस धारा के अंतर्गत महिला को उसके पति की संपत्ति के रूप में देखा जाता था तथा महिला पर किसी तरह का मुकदमा नहीं चलता था परन्तु उसका प्रेमी इससे प्रभावित ज़रूर होता था | इस कानून को सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्ण रूप से ख़ारिज कर दिया है | सर्वोच्च न्यायलय के पाँच जजों की बैठक में जिसमे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस इंदु मल्होत्रा, जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस आरएफ नरीमन थे, ने मिलकर यह फैसला सुनाया है |

धारा 497 को हटाने के कारण

सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस चंद्रचूड़ का कहना है "अडल्टरी कानून मनमाना है। यह महिला के सेक्सुअल चॉइस को रोकता है और इसलिए असंवैधानिक है। महिला को शादी के बाद सेक्सुअल चॉइस से वंचित नहीं किया जा सकता है।"
धारा 497 को हटाने के पक्ष में जवाब देते हुए यह न्यायधीशों का कहना है कि धारा 497 महिलायों के प्रति समानता को प्रभावित करती है, हर महिला को यह अधिकार होना चाहिए कि वह उस व्यक्ति के साथ समबन्ध रखे जिसके साथ वह चाहे | इस धारा को हटाने के पीछे कारण यह भी बताया जा रहा हैं कि यह कानून महिलाओं को उनके पति कि संपत्ति के रूप में प्रस्तुत करता है और इस कानून को खारिज करने से अब ऐसा नहीं होगा |

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह दलील भी दी गयी कि इस कानून के अंतर्गत केवल पुरुष को ही अपराधी करार देकर जेल में डाला जाता था जबकि महिलाओ के साथ नरमी होती थी | इसी के चलते उन्होंने इस कानून को ख़ारिज कर लोगों को यह स्वतंत्रता दे दी हैं कि वह शादी के बाहर सम्बन्ध बनाना चाहें तो बना सकते हैं क्योंकि अब कानूनी रूप से इसे सहमति प्राप्त है | परन्तु यह कानून लोगो के तलाक का एक कारण बनेगा अर्थात व्यक्ति तलाक चाहे तो वह न्ययालय में कह सकता है कि वह अडल्ट्री के आधार पर तलाक चाहता है |

धारा 497 का समाजिक प्रभाव

एक तरफ लोग इस कानून के ख़ारिज होने को शादी से बाहर प्रेमसंबंध बनाने पर मिली इजाजत के रूप में देख रहें हैं तो दूसरी ओर लोग इससे खुश भी हैं | नाखुश होने का कारण यह हैं कि लोगो को लग रहा हैं कानून चला गया तो अब पति पत्नी का एक दुसरे पर से विशवास भी चला जायगा क्योंकि अब उन्हें शादी से बाहर सम्बन्ध बनाने कि स्वतंत्रता है | परन्तु मेरी अपनी राय यह है कि जब आपका प्रेम सच्चा हो तो आपको ऐसे किसी कानून के होने या न होने से फर्क नहीं पड़ना चाहिए | शादी एक पवित्र बंधन है और यदि आपका साथी किसी ओर व्यक्ति एक साथ शारीरिक सम्बन्ध रखता है तो यह आपका और आपके साथी का फैसला होगा कि आपको क्या करना है, रिश्ता कायम रखना है या नहीं | कानून कितना ही बड़ा हो जाये रिश्तो और उन रिश्तो में निहित विश्वास से बड़ा नहीं हो सकता,और यदि आपको किसी कानून के हटने से अपने रिश्तो पर शक होने लगे तो आपका उस रिश्ते से निकलना ही बेहतर है |
0 Comments