आपको सोशल मीडिया पर कई तरह की भ्रमित करने वाली खबरें दिखाई देती होंगी, जिसमें बार-बार यह कहा जा रहा है कि चीन ने कोरोनावायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है और यह वायरस चीन के प्रयोगशाला में बनाया गया है. अमेरिका भी बार-बार इस वायरस को वुहान से कुछ ही दूरी पर स्थित एक प्रयोगशाला में बनाया गया है, इस बात का आरोप लगाता रहता है. मगर अभी तक कोई सबूत किसी के भी हाथ में नहीं लगा है. रूस इस वायरस को फेलानेे का मुख्य कारण अमेरिकी सैनिकों को मानता है. यानी कि आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं अभी तक किसी तथ्यों पर नहीं पहुंचा गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी जांच रिपोर्टों में बताया है कि यह वायरस किसी भी तरह से वुहान के नजदीकी प्रयोगशाला में नहीं बना है इस बात के कोई भी प्रमाण नहीं मिलते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है कि यह वायरस मानव निर्मित है. और ना ही है चीन की प्रयोगशाला में बना है इस बात को वैज्ञानिकों ने भी माना है कि कोरोनावायरस किसी भी तरह से मानव द्वारा बनाया गया वायरस नहीं हो है. वैज्ञानिकों ने खुद एक अध्ययन में साबित किया है.
विज्ञानिकों ने कहा है कि यह वायरस मानव निर्मित वायरस नहीं है वायरस प्राकृतिक की देन है.शोध से जुड़े वैज्ञानिक क्रिस्चियन एंडरसन, जोकि स्क्रिप्स रिसर्च में इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर ने बताया कि “अभी तक कोविद-19 और उससे सम्बंधित वायरस के जीनोम सिक्वेंसिंग डेटा के विश्लेषण के बाद हम निश्चित तौर पर कह सकते है कि इस वायरस ‘सार्स-कोव-2’ को कृत्रिम रूप से नहीं बनाया गया है.यह वायरस प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्पन्न हुआ है यह अध्ययन जर्नल नेचर मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है.
चीन के बुहान शहर से फैला यह वायरस अब तक दो लाख से ज्यादा लोगों को मौत के मुंह में समवा चुका है मगर इस वायरस के प्रकोप की शांत होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. दिनों दिन इस वायरस से हजारों की संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं और मौतों की संख्या में लगातार इजाफा होता नजर आ रहा है.
अब तक क्रोना वायरस से पूरी दुनिया में 32 लाख 32 हजार 61 लोग संक्रमित पाए गए हैं. 2 लाख 28 हजार 504 की मौत हो चुकी है, जबकि 10 लाख 7 हजार 865 ठीक भी हो चुके हैं.
मगर एक सवाल अभी भी किसी को समझ में नहीं आ रहा है:-
चीन में कुल लोग 82,862 संक्रमित होते हैं जिनमें 4633 लोग मारे जाते हैं और 77610 लोग बीमारी से विजय प्राप्त करते हैं. और यहां पर क्रोना वायरस एक भी मरीज नहीं है. चीन ढाई महीने बाद लाकडाउन हटा लेता है और वहां पर फिर से सब कुछ पहले की तरह नॉर्मल हो जाता है जब यह पूरी दुनिया दिनोंदिन वायरस की चपेट में आता ही जा रहा है तो यह चीन कैसे वायरस को रोकने में कामयाब हो पाया है जबकि चीन ही इस वायरस का मुख्य गढ़ है.क्योंकि वायरस ने यहीं से जन्म लिया.यहां पर जीवन बिल्कुल ही नॉर्मल हो जाता है जनसंख्या की दृष्टि से भी चीन की जनसंख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है और चीन में वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या एक लाख से कम ही है. यह बात भी सोचने पर विवश करता है जहां पर हर फैक्ट्रियां हर कंपनियां बंद पड़ी हैं वहीं पर चीन में कारोबार एकदम चालू है चीन बाकी देशों से मेडिसिन और स्वास्थ्य से जुड़ी सामग्रियों का व्यापार कर रहा है.
अपने आप को दुनिया की महाशक्ति और अपने ताकत के दम पर दुनिया के तमाम देशों को हडका कर रखने वाला अमेरिका आज इस वायरस के सामने बिल्कुल घुटने टेक चुका है. अगर आज पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा वायरस का प्रकोप देखने को मिला है तो वह अमेरिका में मिला है.अमेरिका में लगभग10,64,572 की संख्या में लोग संक्रमित पाए गए. मरने वालो की संख्या 61,669 तक पहुंच गई है.. और 1,47,411 लोग ठीक भी हुए हैं.
संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या और मरने वालों की संख्या में और भी इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है. अमेरिका की हालत सबसे ज्यादा खराब होने की वजह से अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप चीन पर इस वायरस को फैलाने का आरोप लगाते रहते हैं अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी चीन के साथ मिली भगत का आरोप लगाया है अभी हाल ही में अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की 500 मिलियन डॉलर की फंडिंग पर रोक लगा दी है.
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