लोकतंत्र होने की वजह से भारत देश में चुनाव आयोग का अलग ही महत्व है। देश के संविधान ने इस आयोग को अलग ही सत्ता प्रदान की है पर उस के अधिकारों के वहन के लिए उसे कोई खास सत्ता नहीं दी है। इस के चलते इस आयोग का कार्य सिर्फ चुनाव का आयोजन करना और उस की तारीख की घोषणा करने तक सिमित रह गया है। वैसे तो देखा जाए तो इस आयोग के पास असीम सत्ता है पर कोई दंडात्मक कार्यवाही का प्रयोजन ना होने से वो सिर्फ कागज़ का शेर साबित हो रहा है।
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चुनाव में जब भी गड़बड़ी हो या उस की शिकायत हो तो थोड़े नोटिस देकर और कुछ कार्रवाई करने के बाद यह आयोग कुछ ख़ास कदम नहीं उठा पाता। कभी कभी तो ऐसा लगता है की यह सिर्फ नाम का आयोग है जो कुछ कर ही नही सकता। काफी सारी घटनाए ऐसी भी सामने आई है की जहां देखा जा सकता है की गलत हो रहा है पर फिर भी आयोग कोई ख़ास कदम नहीं उठा रहा। इस लिए ऐसा कहा जा सकता है की देश का चुनाव आयोग शक्तिहीन है और आम इंसान की नजर में उस की कोई ख़ास अहमियत नहीं रह गई।