भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान पर खर्च करना व्यर्थ नहीं बल्कि लाभदायक है। आज इस अंतरिक्ष अनुसंधान के कारण विश्व में भारत के वैज्ञानिको की प्रतिभा और ज्ञान को पहचान मिली है।और जहां तक बात हैं खर्चे की तो इसरो के मंगलयान अभियान की लागत 450 करोड़ है इससे कही ज्यादा खर्चे तो कुछ अमीर अपने शादी में करते है और इससे 20 गुना पैसे तो घोटालो में चले जाते है (नीरव मोदी और माल्या)। इसरो आजकल कुछ पैसे दुसरे देशों के उपग्रहों को लांच करने से कमा लेती है। अतः मुझे नहीं लगता है कि यह अनुसंधान पर खर्च व्यर्थ है।
अंतरिक्ष अनुसंधान के फायदे
अंतरिक्ष अनुसंधान में के दौड़ में आज विश्व के कुछ देशों में शीत युद्ध जैसा हाल हैं। पहले ये सिर्फ अमेरिका और रुस के बीच था पर अब कई देश शामिल हैं जिसमें भारत भी हैं। चंद्रयान द्वारा चंद्रमा में पानी की खोज और मंगल यान द्वारा भारत ने भी ये बात साबित कर दिया है वह किसी से कम नहीं।
विश्व के कुछ देशो और निजी कम्पनियों का इसरो में विश्वास बढ़ा है और वे इसरो से अपना उपग्रह भी अंतरिक्ष में पैसे देकर भेजते है। और इस विश्वास के बढ़ने का कारण हैं भारत सरकार द्वारा अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए पैसे देना।
चंद्रमा में काफी मात्रा में हिलीयम3 मौजूद है जो भविष्य के लिए ऊर्जा का स्रोत हो सकता है और अंतरिक्ष अनुसंधान द्वारा इसरो वैज्ञानिक इसका सही उपयोग करने का तरीका पता लगा सकते हैं।
एक समय था जब मौसम की जानकारी के लिए भारत अमेरिका पर निर्भर था। लेकिन आज भारत के पास खुद के उपग्रह है और वे अनुसंधान द्वारा मौसम की जानकारी देते है । किसानों को इससे काफी फायदा हुआ है।
