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Vikas joshi

Sales Executive in ICICI Bank | पोस्ट किया |


क्या यह सही है कि बेटियां अपने मां- पिता का अधिक ध्यान रखती हैं?


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Lifestyle Expert | पोस्ट किया


अपने यहां अभी भी बेटी की बजाय बेटे का शौक लोगों को अधिक है। बावजूद इसके, कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि बेटों की अपेक्षा बेटियां अपने मां- पिता का अधिक ध्यान रखती हैं। अब इसके पीछे का कारण चाहे जो भी हो, हम सब जानते हैं कि बेटियां हमेशा अपने परिवार को एक ही छत के नीचे देखना चाहती हैं। जब उनके मां- पिता बुजुर्ग हो जाते हैं तो वे उनके प्रति जिम्मेदार हो जाती हैं। कहा जाए तो वह उनकी मां बन जाती है।


शादी के पहले वह अपने मां- पिता के बारे में सोचती हैं आैर शादी के बाद अपने सास- ससुर का। इस लिहाज से उनके अंदर जिम्मेदारी की भावना कभी खत्म नहीं होती।

लड़कियों के अंदर कुछ ऐसे हार्मोन्स होते हैं, जो उनके स्वभाव को नम्र आैर संवेदनशील बनाते हैं। उनके अंदर लड़कों की बजाय रफनेस ना के बराबर होती है। बुजुर्ग होते- होते मां- पिता के अंदर बचपना वापस लौटने लगता है आैर बेटियों के अंदर मां वाले हार्मोन्स विकसित हो जाते हैं।

परंपरा आैर रीति- रिवाज की बात आती है तो लड़कियां इनका पालन करती हैं, लड़के कम ही करते हैं। मां- पिता की शादी की सालगिरह हो, भाई- बहनों का जन्मदिन या कोई आैर खास तारीख, बेटियां हमेशा याद करती हैं आैर बधाई देना नहीं भूलती हैं।

लड़कियां, खासकर बेटियां अच्छी श्रोता होती हैं। इसका कारण उनका अपने मां- पिता के साथ अधिक लगाव है। मां- पिता को कभी कोई भी समस्या होती है तो वे इसे अपने बेटी के साथ जरूर शेयर करते हैं।

लड़कियों को खरीदारी करना पसंद है तो वे अपनी मां के साथ खरीदारी करके अच्छी बॉन्डिंग बना लेती हैं। आज के समय में मां- बेटी का साथ में घूमना भी एक ट्रेंड बन गया है। इस लिहाज से भी मां आैर बेटी का साथ नए गोल्स देता है।

बेटी झगड़े के बीच ठंडी फुहार सा काम करती है। वह जानती है कि किस तरह सबके बीच के झगड़े का निपटारा करके शांति लाई जा सकती है।

बेटियां शादी के बाद भी अपने ससुराल आैर मायके के बीच संतुलन बनाना जानती हैं। वह कभी भी अपने पति के लिए अपने मां- पिता को नहीं छोड़ती हैं।

मां- पिता बेटियों को लेकर शुरुआत से ही ज्यादा सतर्क रहते हैं, उसे ज्यादा प्यार देते हैं। यह कारण भी हो सकता है कि एक बेटी अपने मां- पिता को अधिक प्यार करती है।

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Occupation | पोस्ट किया


आज कल के माता -पिता लड़को की चाहत रखते है कि भगवान उन्हें लडके दे लेकिन दरअसल जितना सुख बेटियां अपने माता -पिता को देती है। वह सुख बेटे नही दे पाते है, सही है कि बेटियां अपने मां -बाप का सहारा बनती है, भले ही बेटियों शादी हो जाये वह पराई हो जाती है लेकिन माता -पिता किसी मुसीबत मे है तो वह अपने बेटों बहुयो को बोलेगे तो वह उनकी मदद नही करेंगे लेकिन बेटी को बोलेगे तो बेटी अपने माता -पिता की मदद करने के लिए ससुराल से भागी दौडी चली आएगी, क्योंकि बेटियां अपने माता -पिता का बहुत ध्यान रखती है और बेटों से ज्यादा बेटियां अपने माता -पिता से प्यार करती है।

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| पोस्ट किया


जी हां यह बात बिल्कुल सही है की लड़कियां अपने माता-पिता का अधिक ध्यान रखती हैं। क्योंकि वह अपने माता-पिता से बहुत ज्यादा प्यार करती है और उनका पूरा ख्याल रखती हैं। लेकिन हमारे देश में लड़कियों को बोझ माना जाता है। लेकिन लड़कियों को बोझ मानना बिल्कुल गलत है। अक्सर आपने देखा होगा कि जब लड़कों की शादी हो जाती है तो उनकी पत्नी के आने पर भी अपने माता-पिता का ख्याल नहीं रखते हैं लेकिन लड़कियों की शादी होने के बाद भी वे अपने माता-पिता का उतना ही ख्याल रखती हैं और यदि उनके माता-पिता की तबीयत खराब हो जाती है तो वे ससुराल से आकर उनका ख्याल रखती है।Letsdiskuss


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