दिल्ली कहने को तो पूरे देश की राजधानी है पर राजनीति में ऐसा कहा जाता है की अगर दिल्ली की गद्दी पर बैठना है तो उस का रास्ता उत्तर प्रदेश से गुजरता है। पुराने ज़माने से इस राज्य का राजनीति से करीबी रिश्ता बना रहा है।वैसे मुगलो के समय से अगर देखा जाए तो भारत का संचालन इसी राज्य से होता था। आजाद भारत में भी इस राज्य का दबदबा बना रहा है क्यूंकि देश के 16 में से 8 प्रधान मंत्री इस राज्य से थे।

सौजन्य: जागरण जोश
इन प्रधान मंत्रिओं में जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री, वी पी सिंह, चंद्रशेखर, इंदिरा गाँधी, राजिव गाँधी और चौधरी चरणसिंघ एवं अटलबिहारी वाजपेयी के नाम शामिल है। यह सारे प्रधानमंत्री इसी राज्य से थे और ना सिर्फ वे सर्वोच्च पद पर पहुंचे पर राजनीती में भी इन्होने काफी बड़ा योगदान दिया है।
देश की राजनीतिक हलचल में भी इसी राज्य का सबसे बड़ा योगदान रहा है चाहे वो आजादी से पहले की लड़ाई हो या राम मंदिर का मसला। इन सब हालात में इस राज्य ने सब से ज्यादा योगदान दिया है और इसी लिए राजनीती में यहां के चुनाव, माहौल और जीतनेवाली पार्टी की बड़ी अहमियत बनी रहती है। जो भी पार्टी ने इस राज्य में अच्छा प्रदर्शन किया है उसे दिल्ली की गद्दी भी मिली है।