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पीरियड्स - ये शर्म का नहीं बल्कि धरती पर सभी महिलाओं के सवास्थ का मुद्दा है। भारत में ये मुद्दा कुछ ज्यादा ही गंभीर है क्यूंकि यहाँ शर्म और लिहाज का पर्दा कुछ ज्यादा ही मोटा है। और आर पर देखना मुश्किल है।
पीरियड्स या माहवारी का होना प्राकर्तिक प्रक्रिया है या यूँ कहें की वरदान है। जिसके बिना जीवन ही संभव नहीं इस बात से परहेज क्यों। ये शराफत का चोला आखिर क्यों और किसके लिए।
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जी नहीं दोस्तों महावारी को लेकर खुलकर बात अवश्य करना चाहिए इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं होती है। क्योंकि महावारी होना प्राकृतिक है यह हर महिलाओं को होती है महावारी होना कोई पाप नहीं है यह तो प्रकृति का नियम है यदि महावारी नहीं होती तो इस दुनिया में किसी भी मां की गोद में बच्चे नहीं होते है। इसलिए लड़कियों को हमेशा महावारी को लेकर खुल कर बात करनी चाहिए 10 साल की उम्र से लेकर 45 साल की उम्र तक का यह सफर रहता है। इसलिए मैं आप सभी माताओ से अनुरोध करती हूं कि आप अपनी बेटियों को महावारी के बारे में खुलकर पूरी जानकारी दें।
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महामारी क़ो लेकर खुलकर बात करना बिल्कुल गलत नहीं है, क्योकि यह प्रकृतिक देन है, इसके बिना महिलाओ का जीवन अधूरा है। इसलिए हर एक महिला क़ो महामारी क़ो लेकर खुलकर बात करनी चाहिए, क्योंकि आज के समय मे कुछ ऐसी महिलाये भी महामारी के दौरान इतना ज्यादा शर्मिंदगी महसूस करती है कि वह कपड़ा इस्तेमाल करती है क्योंकि उनको बाहर जाकर पैड खरीदने मे शर्मिंदगी महसूस होती है।
लेकिन एक सच यह भी है कि यदि महिलाओं क़ो महामारी नहीं होती तो इस दुनिया की सभी माताओ की गोद सूनी रहती है। इसलिए महिलाओं क़ो महामारी क़ो लेकर खुल कर बात करनी चाहिए, उन्हें महामारी के दौरान ज्यादा ब्लडिंग होती है तो लेडीज़ डॉक्टर क़ो जरूर दिखाये इसमें शर्माने की कोई बात नहीं है।
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दोस्तों इस पोस्ट में हम महामारी के बारे में बात करेंगे कि क्या महामारी को लेकर खुलकर बात करना गलत है या नहीं। तों हम आपको बता दें कि महामारी को लेकर खुलकर बात करना कोई भी गलत बात नहीं है। बल्कि यह जिम्मेदारी हमारे घर के बुजुर्गों की होती है कि वह युवावस्था में प्रवेश करने वाली लड़कियों को महामारी के बारे में पहले से ही अवगत कराएं जिससे यह पहली बार महामारी होने में उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।
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महावारी क़ो लेकर खुलकर बात करना कुछ गलत नहीं होता है, क्योंकि आज वर्तमान समय मे लड़कियों क़ो 11-12साल की लड़कियों क़ो आने लगता है तो ऐसे मे उन्हें महावारी क़ो लेकर कुछ पता नहीं रहता है तो ऐसे मे हर एक माँ का कर्तव्य बनता है कि वह अपनी बेटी क़ो 10-11 साल की उम्र मे महावारी के बारे मे खुलकर बताना चाहिए की महावारी प्राकृतिक की देन होती है, महावारी के बिना हर एक लड़की का जीवन अधूरा होता है।
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