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Fashion enthusiast | पोस्ट किया |


क्या माहवारी को लेकर खुलकर बात करना गलत है?


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student | पोस्ट किया


एक लड़की के कपड़े पर लाल धब्बे शर्म की बात है। खून इतना दर्दनाक हो सकता है, हम लड़कियों, कोई पता नहीं था !!
पीरियड्स एक ऐसी चीज है जो एक महिला को परिभाषित करती है। 10 साल की उम्र की लड़की हो या 45 साल की उम्र की महिला सभी इस खूबसूरत सफर का हिस्सा हैं।
एक महिला के शरीर के इस चक्र को गले लगाया जाना चाहिए और छिपाया नहीं जाना चाहिए। हर महीने रक्तस्राव पाप नहीं बल्कि एक उपहार है।
इसके बारे में खुलकर बात करना पूरी तरह से अपनी पसंद है लेकिन मेरे विचार में, यह शर्म की बात नहीं है। किसी भी महिला को बोलने से पीछे नहीं हटना चाहिए। उसके दर्द और परेशानी के बारे में बोलते हुए, मिजाज और मानसिक पीड़ा।
मैं उस दर्द को समझ सकता हूं जब कोई भी वास्तव में उन कुछ दिनों के दर्द को नहीं समझता है। समाज ने इसे "शर्मनाक सप्ताह" के रूप में चिह्नित किया है। यह तब तक ऐसे ही चलता रहेगा जब तक हम इसके खिलाफ कदम नहीं उठाते। यह स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं है कि हमने खून बहाया, हर लानत महीने में, खुद को उन कर सैनिटरी नैपकिन खरीदने, हमारे पेट को पकड़ने, घरों के अंदर रहने, काले कपड़े पहनने और अकेला महसूस करने के लिए।
हम खुलकर गर्भावस्था की बात करते हैं, क्या हम नहीं? यह कुछ ऐसा है जो उन 9 महीनों के लिए केवल महिलाओं की चिंता करता है। हम खुशी और खुशी के साथ गर्भावस्था का स्वागत करते हैं तो पीरियड्स क्यों नहीं?
28-दिवसीय चक्र पर हर महीने रक्तस्राव एक लड़की के अच्छे स्वास्थ्य का संकेत है और लोग तब तक इसे स्वीकार नहीं करेंगे जब तक कि उन्हें इसके बारे में पता न चले।
मैं खुले तौर पर अपने पीरियड्स और उसकी जटिलताओं (यदि कोई हो) के बारे में उन सभी लोगों से बात करता हूं, जिनके मैं करीब हूं। मुझे अपने हाथ में सैनिटरी नैपकिन ले जाने में कोई शर्म नहीं है। मैं अपनी आवश्यकताओं को छिपाने के लिए काले कैरी बैग का उपयोग करने से इनकार करती हूं। मैं घर के अंदर रहने या खुद को सीमित करने से इनकार करता हूं। और मैं अपने जीवन के ऐसे जरूरी हिस्से पर चुप रहने से इनकार करती हूं।

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Blogger | पोस्ट किया


वो सात दिन...। ये दाग...। अलग कमरे में रहना...देखो अचार मत छूना...। छि:...। गंदा...। माहवारी का जिक्र आते ही नाक-भौं सिकोड़ना...।

पीरियड्स - ये शर्म का नहीं बल्कि धरती पर सभी महिलाओं के सवास्थ का मुद्दा है। भारत में ये मुद्दा कुछ ज्यादा ही गंभीर है क्यूंकि यहाँ शर्म और लिहाज का पर्दा कुछ ज्यादा ही मोटा है। और आर पर देखना मुश्किल है।

पीरियड्स या माहवारी का होना प्राकर्तिक प्रक्रिया है या यूँ कहें की वरदान है। जिसके बिना जीवन ही संभव नहीं इस बात से परहेज क्यों। ये शराफत का चोला आखिर क्यों और किसके लिए।



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| पोस्ट किया


जी नहीं दोस्तों महावारी को लेकर खुलकर बात अवश्य करना चाहिए इसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं होती है। क्योंकि महावारी होना प्राकृतिक है यह हर महिलाओं को होती है महावारी होना कोई पाप नहीं है यह तो प्रकृति का नियम है यदि महावारी नहीं होती तो इस दुनिया में किसी भी मां की गोद में बच्चे नहीं होते है। इसलिए लड़कियों को हमेशा महावारी को लेकर खुल कर बात करनी चाहिए 10 साल की उम्र से लेकर 45 साल की उम्र तक का यह सफर रहता है। इसलिए मैं आप सभी माताओ से अनुरोध करती हूं कि आप अपनी बेटियों को महावारी के बारे में खुलकर पूरी जानकारी दें।Letsdiskuss


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Occupation | पोस्ट किया


महामारी क़ो लेकर खुलकर बात करना बिल्कुल गलत नहीं है, क्योकि यह प्रकृतिक देन है, इसके बिना महिलाओ का जीवन अधूरा है। इसलिए हर एक महिला क़ो महामारी क़ो लेकर खुलकर बात करनी चाहिए, क्योंकि आज के समय मे कुछ ऐसी महिलाये भी महामारी के दौरान इतना ज्यादा शर्मिंदगी महसूस करती है कि वह कपड़ा इस्तेमाल करती है क्योंकि उनको बाहर जाकर पैड खरीदने मे शर्मिंदगी महसूस होती है।

लेकिन एक सच यह भी है कि यदि महिलाओं क़ो महामारी नहीं होती तो इस दुनिया की सभी माताओ की गोद सूनी रहती है। इसलिए महिलाओं क़ो महामारी क़ो लेकर खुल कर बात करनी चाहिए, उन्हें महामारी के दौरान ज्यादा ब्लडिंग होती है तो लेडीज़ डॉक्टर क़ो जरूर दिखाये इसमें शर्माने की कोई बात नहीं है।Letsdiskuss


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| पोस्ट किया


दोस्तों इस पोस्ट में हम महामारी के बारे में बात करेंगे कि क्या महामारी को लेकर खुलकर बात करना गलत है या नहीं। तों हम आपको बता दें कि महामारी को लेकर खुलकर बात करना कोई भी गलत बात नहीं है। बल्कि यह जिम्मेदारी हमारे घर के बुजुर्गों की होती है कि वह युवावस्था में प्रवेश करने वाली लड़कियों को महामारी के बारे में पहले से ही अवगत कराएं जिससे यह पहली बार महामारी होने में उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।

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महावारी क़ो लेकर खुलकर बात करना कुछ गलत नहीं होता है, क्योंकि आज वर्तमान समय मे लड़कियों क़ो 11-12साल की लड़कियों क़ो आने लगता है तो ऐसे मे उन्हें महावारी क़ो लेकर कुछ पता नहीं रहता है तो ऐसे मे हर एक माँ का कर्तव्य बनता है कि वह अपनी बेटी क़ो 10-11 साल की उम्र मे महावारी के बारे मे खुलकर बताना चाहिए की महावारी प्राकृतिक की देन होती है, महावारी के बिना हर एक लड़की का जीवन अधूरा होता है।Letsdiskuss


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