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Ram kumar

Technical executive - Intarvo technologies | पोस्ट किया |


कैसे भूख हमारी मनोदशा को बदलती है?


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| पोस्ट किया


यह बात तो बिल्कुल सत्य है कि भूख हमारी मनोदशा को बदल देती है जैसे कि यदि किसी व्यक्ति को भूख लगी है और उसे खाना सही समय पर नहीं मिल पाता है तो उसे चिड़चिड़ापन आने लगता है और वह दूसरों पर गुस्सा तो नहीं लगता है इस प्रकार भूख हमारे मनोदशा को बदल देती है। इसके अलावा भूखे रहने पर हमारे शरीर मे कई सारी बीमारियां भी हो सकती हैं। इसलिए भोजन हमारे स्वस्थ जीवन के लिए काफी जरूरी होता है। भूखे व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है जिस वजह से वह किसी भी कार्य को सही ढंग से नहीं कर पाता है।Letsdiskuss


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fitness trainer at Gold Gym | पोस्ट किया


यह तो सांसारिक सत्य है की भूख हमारी मनोदशा को प्रभावित करती है | भूखे रहने से हमारी शारीरिक गतिविधियां तो प्रभावित होती ही हैं परन्तु हमारे दैनिक कार्यो को प्रभावित करने में अत्यधिक हाथ हमारी मनोदशा का होता है | उदाहरण के रूप में देखिये, हम अधिकतर कार्य अपने मन के हिसाब से करते हैं,जब मन हुआ उस कार्य को किया और यदि मन नहीं किया तो नहीं करते या अच्छी तरह से नहीं करते | ऐसे ही भूख की स्थिति में होता है |

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    भूख के मनोदशा पर प्रभाव

      • भूख में व्यक्ति की ऊर्जा की खपत होती है, उसमे ऊर्जा खत्म होने लगती हैं जिस कारण वह थकान महसूस करता है और इस कारण वह अपने अन्य कामो को करने में कोई रूचि नहीं दिखाता |
      • बहुत से ऐसे लोग भी हैं जिन्हे भूख लगने पर गुस्सा आने लगता है | ऐसा प्रायः उन लोगो के साथ होता है जो अधिक देर तक भूखे नहीं रह सकते, और जब उन्हें भूख लगती है व भोजन समय पर नहीं मिलता तो व्यक्ति गुस्सा करने लगता है और कभी कभी चिल्लाने भी लगता है |
      • भूख का मनोदशा पर अत्यधिक प्रभाव यह पड़ता हैं की व्यक्ति उदासीन होने लगता है | तथ्य यह है कि अत्यधिक धनी व्यक्ति ही क्यों आगे बढ़ते हैं बड़े मुकामो पर और गरीब नहीं, सबसे बड़ा कारण हैं भोजन में कमी | भोजन में कमी होने का अर्थ हैं स्वास्थ में गिरावट, और स्वास्थ में गिरावट से सीधा तात्पर्य हैं शारीरिक और मानसिक कमजोरी | मानसिक कमजोरी का अर्थ यह नहीं हैं कि गरीब मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं, इसका स्पष्ट अर्थ हैं कि व्यक्ति के मनोमस्तिष्क में उदासीनता घर कर लेती है जिससे उभर पाना मुश्किल है |
      • संसार की 11.3% भूखी हैं जिसे भोजन का एक टुकड़ा मुश्किल से नसीब होता है | भूख उनकी मनोदशा को तोड़ चुकी है और यकीनन उनके पास ऐसा कुछ नहीं जिसके बारे में वह कुछ सोच सकें क्यूंकि उनकी प्राथमिकता केवल भोजन है |
      • भोजन हमारे विकास और वृद्धि को प्रभावित करता है और वह लोग जो अत्यधिक भूखे रहते हैं एक अच्छे शारीरिक विकास से दूर हो जाते हैं | शारीरिक रूप से असमर्थता उन्हें संसार के अन्य लोगो से अलग कर देती है और जब कोई उनपर ताने कसता है तो इससे व्यक्ति के मनोबल को ठेस पहुँचती है और वह गंभीर कदम उठा लेता है |
      • भूख व्यक्ति के metabolism को प्रभावित करती है जिससे उसकी भोजन ग्रहण करने की शक्ति कम होने लगती है और वह भूख लगने पर बहुत कम भोजन में पेट भरते हैं, परन्तु असल में भूख से व्यक्ति बच तो जाता है परन्तु उसका शरीर भोज्य तत्वों से बहुत दूर हो जाता है जिसका प्रभाव व्यक्ति के मस्तिष्क पर भी पड़ता है |


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