जैसा की सभी जानते है वर्तमान समय बहुत ही आधुनिक है ,यहाँ आधुनिकता में कब क्या हो जाए कोई पता नहीं | जैसे जैसे समय व्यतीत हो रहा है वैसे ही नई तकनीकों का आगमन हो रहा है | और इन नई तकनीकों में न जाने कब क्या नया देखने को मिल जाए | पहले के समय में बीमारियों का पता ही नहीं चलता था | कोई अगर बीमार है तो पहले समय में जड़ी बूटियां काम करती थी | डॉक्टर नहीं हुआ करते थे बस वैद्य हुआ करते थे जो किसी भी बीमारी को आसानी से किसी भी जड़ी बूटी से दूर कर देते थे |
फिर थोड़ा वक़्त बदला फिर डॉक्टर्स हुए जो बीमारियों को समझ कर उसकी दवा देते है | अब तो आधुनिकता ने इतनी बढ़ोतरी की है की ऐसा ब्लड टेस्ट हो रहा है जिसको करने के बाद किसी इंसान को दो साल बाद टीवी की बीमारी हो सकती है या नहीं ये पता चलेगा |
अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पीरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसीन में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक एक्टिव टीबी से ग्रसित लोगों में यह रोग विकसित होने की सबसे अधिक आशंका होती है | फिर भी टीबी से संक्रमित करीब पांच से 20 फीसदी लोगों में ही यह विकसित होता है | दक्षिण अफ्रीका के स्टेलेनबोश विश्वविद्यालय के गेरहर्ड वालजल ने बताया कि उन्होंने पाया कि रोग शुरू होने से पहले का यह अनुमान रक्त में मौजूद "चार जीन" के संयोजन की माप के जरिए संभव है |