अनुच्छेद 377 को संविधान से हटा दिया गया है | लेकिन असली दुनिया इसके बारें में क्या सोचती है ?हमारा देश भी यूटोपिया में बदल गया है, क्योंकि भारत सरकार ने अंततः समलैंगिकता को क़ानूनी घोषित कर दिया है | अगर आप मुझसे पूछें, तो हम उस तरह के Utopian सपने के लिए अभी भी आगे बढ़ रहे हैं जो कि अविश्वासनीया है, जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता |
हाई कोर्ट का यह फैसला लगभग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने की तरह है। जिस तरह संवैधानिक रूप से, इन जातियों को स्वीकृति मिल तो जाती है | परन्तु सामाजिक रूप से इनसे सिर्फ घृणा ही की जाती है | जिसका अक्सर अनुसूचित जाति और जनजाति को सामना करना पड़ता है |
आज तक सभी लोगों ने ऐसे लोगों का मजाक उड़ाया है और "समलैंगिक", या "हिजरा" (नपुंसक) जैसे शब्दों को उनके लिए अपमानजनक शब्दों के रूप में इस्तेमाल किया है | यह सोशल कंडीशनिंग है जिसका हम उपयोग करते हैं।
ये सही है या नहीं इसके बारें में कुछ भी कहना अभी सही नहीं |